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10 लाख का इनामी नक्सली को कई साल बाद 14 साल की बेटी ने लिखी चिट्ठी, कहा - सरेंडर कर दो, तो कर दिया

10 लाख का इनामी नक्सली को कई साल बाद 14 साल की बेटी ने लिखी चिट्ठी, कहा - सरेंडर कर दो, तो कर दिया

RANCHI : सालों तक जंगलों में जीवन गुजारने के बाद नक्सली आत्मसमर्पण कर समाज में बेहतर जिंदगी गुजर बसर कर रहे हैं. इनमें अब दो और कुख्यात नक्सलियों के नाम शामिल हो गई हैं, जिन्होंने बीते दिनों पुलिस के सामने अपने हथियार रख दिए। इन दो नक्सलियों में एक माओवादी जोनल कमांडर बुंडू के बारूहातू निवासी सुरेश सिंह मुंडा उर्फ श्रीपति मुंडा  और एरिया कमांडर खूंटी के कोचांग टोला निवासी लोदरो लोहरा उर्फ सुभाष शामिल हैं। यह जानकारी रांची रेंज के जोनल आइजी कार्यालय में मंगलवार को आइजी अभियान एवी होमकर, सीआरपीएफ आइजी राजीव कुमार, जोनल आइजी पंकज कंबोज, एसटीएफ डीआइजी अनूप बिरथरे और चाईबासा एसपी अजय लिंडा ने संयुक्त रूप से दी।

सुरेश महतो कितना कुख्यात है, यह इस बात से समझा जा सकता है कि सुरेंडा मुंडा पर रांची और चाईबासा समेत कई थानों में 67 केस दर्ज हैं. वहीं लोदरो लोहरा पर खूंटी व चाईबासा जिले में कुल 54 केस दर्ज हैं ने मंगलवार को आत्मसमर्पण कर दिया।  झारखंड सरकार ने सुरेश पर 10 लाख और लोदरो लोहरा पर दो लाख रुपये का इनाम घोषित कर रखा था

बेटी की बातों ने किया प्रभावित

अपने आत्मसमर्पण के दौरान सुरेश ने ऐसा करने की जो वजह बताई, उसमें एक नक्सली के दिल को दिखाता है। बताया गया कि सुरेश की 14 साल की बेटी है। सालों पहले सुरेश की पत्नी के निधन के बाद वह अपने रिश्तेदार के यहां रहकर पढ़ाई करती थी। इस दौरान उसने पिता को समर्पण करने के लिए चिट्ठी भी लिखी थी. वहीं सुरेश सिंह मुंडा ने बताया कि उसकी बेटी ने भी यह कहते हुए समझाया था कि आपके साथ काम करनेवाले नक्सली समर्पण कर सामान्य जीवन जी रहे हैं. इसलिए आप भी समर्पण कर दें. बच्ची की बात से वह काफी प्रभावित हुआ और समर्पण करने के लिए तैयार हुआ। जब सुरेश ने सरेंडर किया तो उसकी बेटी भी वहां मौजूद थी, जो कि पिता के इस कदम से बेहद खुश थी। 

पुराने नक्सली कंमाडर के बाद संभाली थी पोड़ाहाट की जिम्मेदारी

आइजी अभियान एवी होमकर ने बताया कि दोनों संगठन के केंद्रीय कमेटी सदस्य मिसिर बेसरा उर्फ सागर जी की टीम में सक्रिय रहे थे. फरवरी 2021 में पोड़ाहाट क्षेत्र के नक्सली जोनल कमांडर जीवन कंडुलना ने झारखंड पुलिस के समक्ष समर्पण किया था, जिसके बाद सुरेश सिंह मुंडा व लोदरो लोहरा को कोल्हान से पोड़ाहाट भेजा गया था. बाद में पुलिस की दबिश और आंतरिक शोषण से नाराज होकर दोनों पुनर्वास नीति से प्रभावित हुए और मुख्यधारा में शामिल होने की बात सोचकर सरेंडर कर दिया.

कानून प्रक्रिया का करना होगा सामना

आइजी अभियान ने बताया कि दोनों नक्सलियों के लिए सरेंडर नीति के तहत आर्थिक सहायता, सुरक्षा व वैकल्पिक रोजगार की व्यवस्था की जायेगी. दोनों को दर्ज मामलों में न्यायिक प्रक्रिया से गुजरना होगा. वर्तमान में ट्राइ जंक्शन कोल्हान एरिया में कई नक्सली सक्रिय हैं, जिनकी तलाश जारी है।

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