PATNA : बिहार की राजधानी पटना में फुलवारीशरीफ से पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी पीएफआई के संदिग्ध आतंकी मामले में अब एक नया मोड़ आया है क्यूंकि अब इसकी जाँच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी करेगी। सूत्रों ने बताया कि प्रवर्तन निदेशालय ने बिहार पुलिस की एफआईआर के आधार पर, मामले की गंभीरता और बड़ी फंडिंग को देखते हुए प्रिवेंशन आफ मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत प्राथमिकी दर्ज की है। ईडी संदिग्ध आतंकियों के द्वारा किए गए पैसों के लेनदेन की जांच करेगी और उनसे पूछताछ भी करेगी। ईडी के अनुसार इन आतंकियों का नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ हुए विरोध-प्रदर्शन में भी हाथ था। जिसकी जाँच पड़ताल में ईडी जुटी हुई है। पीएफआई से जुड़े अन्य केस की भी ईडी जांच कर रही है।
केंद्रीय जांच एजेंसी एनआईए भी कर रही तफ्तीश
ईडी के एक सीनियर अफसर ने कहा कि पटना पीएफआई मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के तहत मामला दर्ज हुआ है। गिरफ्तार आरोपियों से जल्द पूछताछ शुरू। ईडी ने केरल में भी पीएफआई से जुड़े पैसों के लेनदेन के मामले की जांच कर रही है। सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी आफ इंडिया (एसडीपीआइ) और पापुलर फ्रंट आफ इंडिया (पीएफआइ) की आड़ में संचालित देश विरोधी गतिविधियों की जांच के दौरान इन संस्थाओं को देश और विदेश के विभिन्न स्रोतों से फंडिंग की बात सामने आ रही है। केंद्रीय जांच एजेंसी एनआईए भी इस मामले की तफ्तीश कर रही है।
2047 तक इस्लामिक राज्य बनाने की थी साजिश
पटना के फुलवारीशरीफ स्थित पीएफआई के दफ्तर में बिहार पुलिस ने पिछले दिनों आतंकी ट्रेनिंग कैंप का भंडाफोड़ किया था। पुलिस ने मौके से झारखंड पुलिस के रिटायर्ड पुलिसकर्मी मोहम्मद जलाउद्दीन और अतहर परवेज को गिरफ्तार भी किया था। पुलिस ने जलालुद्दीन और परवेज के पास से ऐसे दस्तावेज बरामद किए हैं जिनमें लिखा है कि वे 2047 तक भारत को इस्लामिक राज्य बना देंगे। युवकों को फिजिकल ट्रेनिंग दिलाने के बहाने पटना में उनका ब्रेनवॉश कर रहे थे। उसके बाद यूपी एटीएस ने लखनऊ से नूरुद्दीन जंगी को भी पकड़ा गया। पूर्वी चंपारण जिले के ढाका और पलनवा में मंगलवार को छापेमारी की और मदरसा से शिक्षक मुफ्ती असगर अली को पकड़ा गया। स्थानीय पुलिस थाने में पूछताछ के बाद एनआईए की टीम उसे अपने साथ ले गई। बिहार पुलिस ने इस सिलसिले में अब तक एफआईआर में शामिल पांच लोगों को गिरफ्तार किया है और इस मामले में करीब 26 संदिग्धों की पहचान की है।