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डेढ़ दशक की मेहनत के बाद सूबे में सुधरी थी बिजली की स्थिति, लेकिन फिर पुराने हालत में जाने लगा बिहार, 9 घंटे तक हो रहा लोड शेडिंग

डेढ़ दशक की मेहनत के बाद सूबे में सुधरी थी बिजली की स्थिति, लेकिन फिर पुराने हालत में जाने लगा बिहार, 9 घंटे तक हो रहा लोड शेडिंग

PATNA : देश के पावर प्लांट में हुए कोयले की किल्लत का असर बिहार पर भी पड़ा है। पिछले डेढ़ दशक में बिहार सरकार ने बिजली के क्षेत्र में बेहतर काम किया। जिसका नतीजा यह हुआ कि शहरी क्षेत्रों के साथ बिहार के ग्रामीण इलाकों में भी 20 से 22 घंटे तक बिजली उपलब्ध होने लगी। लेकिन, पिछले एक सप्ताह से स्थिति फिर से उसी पुराने दिनों में पहुंचने लगी है। 

देशव्यापी कोयले के संकट के कारण बिहार में भी बिजली की बड़ी समस्या खड़ी हो गई है.  बिहार को केंद्रीय सेक्टर से लगभग आधी बिजली मिल रही है जिसने परेशानियां बढ़ा दी है. जानकारी के मुताबिक एनटीपीसी से बिहार को 4500 मेगावाट बिजली मिलनी है जबकि बिहार को सिर्फ 3000 मेगावाट बिजली ही मिल रही है. जिलों की बात करें तो मुंगेर को 60 मेगावाट, बांका को 70 मेगावाट, सीमांचल में कटिहार को 80 मेगावाट, किशनगंज को 20 मेगावाट, पूर्णियां को 100 मेगावाट, अररिया को 100 मेगावाट और मुज़फ़्फ़रपुर को 70 मेगावाट बिजली ही मिल पा रही है. कम बिजली मिलने के कारण 7 से 9 घंटो तक बिजली कट रही है. हालत यह है कि अब बिहार को त्होहारों के दौरान बिजली का संकट उत्पन्न न हो, इसके लिए मौजूदा दर से लगभग चार गुना अधिक दरों पर बिजली खरीदनी पड़ रही है। 

ऐसे में प्राइवेट कंपनियों से लगभग चार गुना अधिक कीमत पर (20 रुपए प्रति यूनिट) की दर से बिजली खरीदनी पड़ रही है। त्योहारों में निर्बाध आपूर्ति के लिए सरकार ने लगभग 1000-1500 यूनिट स्वतंत्र बाजार से खरीदी की है। बिहार स्टेट पॉवर होल्डिंग कंपनी ने दिनांक 8 अक्टूबर से आने वाले त्योहार अवधि में अतिरिक्त बिजली क्रय का निर्णय लिया गया है, जिससे राज्य के सभी जिलों में समुचित विद्युत आपूर्ति जारी रखी जा सके. इस निर्णय के फलस्वरूप दिनांक 9 अक्टूबर को पूरे राज्य में कुल 5340 मेगावाट के पीक डिमांड को पूरा किया गया है. अब औसतन जिला मुख्यालयों में 22 घंटे तक उपलब्ध कराई जा रही है. इस निर्णय से राज्य के बिजली उपभोक्ताओं में काफी राहत है।

बिहार की क्या है स्थिति

एनटीपीसी सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक बिहार में कोयले का संकट नहीं होने दिया जाएगा. बिहार में 10 दिनों का पर्याप्त कोयले की उपलब्धता है. गौरतलब है कि बिजली कंपनियों द्वारा बिहार में बिजली का उत्पादन नहीं होता बल्कि केंद्रीय बिजली उत्पादन करने वाली कंपनियों से खरीदकर उपभोक्ताओं को दी जाती है.

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