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बिहार में भाजपा नेताओं पर लगातार हो रहे हमले के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने लिया बड़ा फैसला, 10 विधायको-नेताओं को मिली इस श्रेणी की सुरक्षा

बिहार में भाजपा नेताओं पर लगातार हो रहे हमले के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने लिया बड़ा फैसला, 10 विधायको-नेताओं को मिली इस श्रेणी की सुरक्षा

PATNA : अग्निपथ योजना के नाम पर बिहार में जिस तरह से असमाजिक तत्वों द्वारा भाजपा कार्यालय और भाजपा नेताओं को निशाना बनाया गया, उसके बाद बिहार में एनडीए के दोनों प्रमुख दलों के बीच तलवार खींच गई है। भाजपा इसके लिए जहां प्रशासन को नाकाम बता रही है। वहीं जदयू की तरफ से भाजपा का गुस्सा बताया गया है। इस बीच अब केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सेना में भर्ती संबंधी‘अग्निपथ’ योजना के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों से उत्पन्न खतरे के मद्देनजर बिहार में भाजपा के 10 विधायकों एवं नेताओं को सीआरपीएफ की वीआईपी सुरक्षा प्रदान की है। 

मिली वाई श्रेणी की सुरक्षा

अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी। जिन भाजपा विधायकों/नेताओं को यह वाई श्रेणी सुरक्षा प्रदान की गयी है, उनमें वाई श्रेणी की सुरक्षा में जायसवाल, डिप्टी सीएम रेणु देवी, डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद, संजीव चौरसिया, हरिभूषण ठाकुर, अररिया के सांसद प्रदीप सिंह, दरभंगा के सांसद गोपाल जी ठाकुर, एमएलसी अशोक अग्रवाल, एमएलसी दिलीप जायसवाल, संजय सरावगी और विजय खेमका शामिल हैं.

.भजापा नेताओं को सिक्योरिटी

केंद्र का यह कदम बिहार भाजपा प्रमुख संजय जायसवाल के आरोपों के बाद सामने आया है। उन्होंने आरोप लगाया था कि राज्य में प्रदर्शनकारियों ने भाजपा नेताओं की संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया और राज्य पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की. पुलिस सबकुछ देखते हुए भी चुप रही। 

सीआरपीएफ जवान रहेंगे सुरक्षा में

'वाई' श्रेणी की सुरक्षा के तहत इन नेताओं के साथ सीआरपीएफ के जवानों को तैनात किया जाएगा। बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व का मानना है कि बिहार पुलिस इन नेताओं को सुरक्षा मुहैया कराने में सक्षम नहीं है। अधिकारियों ने बताया कि केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) को अपनी वीआईपी सुरक्षा इकाई के सशस्त्र कमांडो को इन भाजपा विधायकों और नेताओं की सुरक्षा में शीघ्र तैनात करने को कहा गया है। बताया गया कि वाई श्रेणी की सुरक्षा के तहत व्यक्ति की सुरक्षा में दो-तीन कमांडो तैनात रहेंगे।

इससे पहले जायसवाल ने बिहार में आगजनी की अनुमति देने के लिए नीतीश कुमार सरकार को जिम्मेदार ठहराया था. अधिकारियों ने बताया कि गृह मंत्रालय ने केंद्रीय खुफिया एजेंसियों से मिली रिपोर्ट के आधार पर यह फैसला लिया गया। जिसमें कहा गया था कि विधायकों और नेताओं को शारीरिक नुकसान पहुंचने का खतरा है। शुक्रवार को बिहार तथा कुछ अन्य राज्यों से बड़े पैमाने पर हिंसा एवं आगजनी की खबरें सामने आयी थीं। इस दौरान भाजपा कार्यालय एवं उसके नेताओं को भी निशाना बनाया गया था।

नीतीश कुमार की पुलिस पर भरोसा नहीं

जिस तरह केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बिहार के भाजपा नेताओं को सुरक्षा प्रदान की है। वह कहीं न कहीं इस बात को साबित कर रहा है कि केंद्र भी इस बात को मान रही है कि बिहार सरकार की पुलिस और प्रशासन ने अपनी जिम्मेदारी ठीक तरीके से नहीं निभाई। ट्रेनें और भाजपा कार्यालय को जलाया गया। लेकिन उन्हें रोकने की कोशिश भी पुलिस ने नहीं की। ऐसे में यह भी साबित होता है कि अपने नेताओं की सुरक्षा के लिए केंद्र को नीतीश कुमार की पुलिस पर यकीन नहीं है।


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