PATNA : जन्दाहा प्रखंड प्रमुख मनीष सहनी हत्याकांड में अभी तक पुलिस जांच का नतीजा सिफर रहा है। इस मामले में महनार के जदयू विधायक समेत 10 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज किया गया है लेकिन अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। हैरानी की बात ये है कि इस मामले की जांच को लिए दो SIT को लगाया गया है लेकिन दोनों के हाथ खाली हैं। मुख्यमंत्री ने हाल ही में कहा था कि दोषियों को बक्शा नहीं जाएगा। इसके बावजूद कुछ हुआ नहीं।
दो SIT को जांच का जिम्मा
एडीजी मुख्यालय एस के सिंघल के मुताबिक मनीष सहनी हत्याकांड की तफ्तीश को लिए दो SIT का गठन किया गया है। एक SIT की कमान एएसपी अभियान को सौंपी गयी है जब कि दूसरे का नेतृत्व डीएसपी कर रहे हैं। एडीजी मुख्यालय के मुताबिक जांच रिपोर्ट आने के बाद ही जदयू विधायक पर किसी तरह की कार्रवाई की जाएगी।
उपेन्द्र कुशवाहा ने नीतीश से जतायी थी नाराजगी
मनीष सहनी रालोसपा के नेता थे । 13 अगस्त को गोली मार कर उनकी हत्या कर दी गयी थी। उनकी हत्या से नाराज केन्द्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा ने सीधे नीतीश कुमार को जिम्मेवार ठहराया था। उपेन्द्र कुशवाहा ने नीतीश कुमार से पूछा था कि क्या यही दिन देखने के लिए समता पार्टी के दौरान आपके साथ 12 साल गुजारे थे। मनीष के घर वालों को क्या जवाब देंगे ? कुशवाहा ने नीतीश कुमार से पूछा था और कितनी लाशों के बाद होश में आएगा शासन ? कुशवाहा ने मंगलवार को मनीष सहनी के गांव का दौरा कर परिजनों से मुलाकात भी की थी।
क्या जदयू विधायक को बचा रही पुलिस ?
मनीष सहनी के भाई प्रकाश ने जदयू विधायक उमेश कुशवाहा पर गंभीर आरोप लगाया था । प्रकाश के मुताबिक, मनीष हाल ही में जन्दाहा प्रखंड प्रमुख के पद पर निर्वाचित हुए थे। मनीष के जीतने से पूर्व प्रखंड प्रमुख और जदयू विधायक उमेश कुशवाहा बहुत खफा थे। आरोप के मुताबिक उमेश कुशवाहा और उनके समर्थकों ने मनीष को खुलेआम धमकी दी थी कि तुम्हें जीतने नहीं देंगे। अगर जीते तो जीने नहीं देंगे। इसके बाद मनीष को गोलियों से भून दिया गया। इतने गंभीर आरोप के बाद भी पुलिस ने अभी तक उमेश कुशवाहा को गिरफ्तार नहीं किया है।
पुलिस ने की थी फायरिंग, एक की हुई थी मौत
मनीष सहनी की हत्या के बाद जन्दाहा के लोगों में जनाक्रोश भड़क गया था। नाराज लोगों ने जन्दाहा थान को घेर लिया था। विरोध जब हिंसक हो गया था तब पुलिस ने फायरिंग और लाठीचार्ज की थी। इस घटना में एक व्यक्ति की मौत हो गयी थी। हालात पर काबू पाने के लिए करीब 400 पुलिस जवानों को वहां तैनात करना पड़ा था।