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कास्ट सर्वे की रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद राजनीतिक चुल्हे पर जातीय पकवान, जितनी आबादी, उतना हक़ की आवाज बुलंद कर निजामत बदलने की तैयारी में विपक्ष

कास्ट सर्वे की रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद राजनीतिक चुल्हे पर जातीय पकवान, जितनी आबादी, उतना हक़ की आवाज बुलंद कर निजामत बदलने की तैयारी में विपक्ष

पटना- बिहार की राजनीति में जाति का अहम स्थान शुरु से रहा है, इससे कोई इंकार नहीं कर सकता. 2 अक्टूबर को बिहार सरकार ने जातीय जनगणना की रिपोर्ट प्रकाशित कर दी तो रिपोर्ट के जारी होते हीं बिहार की राजनीति में भूचाल की सुगबुगाहट दिखाई देने लगी हैं . रिपोर्ट तब जारी की गई है जब लोकसभा चुनाव में कुछ महीने शेष हैं. सीएम नीतीश कुमार , डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव  ने क्रांतिकारी बताया है, वहीं भारतीय जनता पार्टी ने भी कहा है कि जातीय जनगणना कराने में उसकी सहमति थी. जाति-धर्म के  सामाजिक जकड़न में बंधे बिहार की राजनीति में जातीय आधारित गणना की रिपोर्ट जारी होने के बाद बिहार में राजनीति भी चरम पर है.

जातीय गणना आधारित गणना की रिपोर्ट जारी होने के बाद राजद सुप्रीमो लालू प्रासाद यादव और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने “जितनी आबादी, उतना हक़” की बात प्रमुखता से की है.कांग्रेस नेता राहुल गाँधी ने अपने X(पूर्व में ट्वीटर) अकाउंट पर लिखा “बिहार की जातिगत जनगणना से पता चला है कि वहां OBC + SC + ST 84% हैं.  केंद्र सरकार के 90 सचिवों में सिर्फ़ 3 OBC हैं, जो भारत का मात्र 5% बजट संभालते हैं! इसलिए, भारत के जातिगत आंकड़े जानना ज़रूरी है. जितनी आबादी, उतना हक़ – ये हमारा प्रण है.बिहार में जाति आधारित जनगणना का डाटा रिलीज होने पर लालू यादव ने कहा कि सरकार को अब सुनिश्चित करना चाहिए कि जिसकी जितनी संख्या, उसकी उतनी हिस्सेदारी हो. हमारा शुरू से मानना रहा है कि राज्य के संसाधनों पर न्यायसंगत अधिकार सभी वर्गों का हो. केंद्र में 2024 में जब हमारी सरकार बनेगी तब पूरे देश में जातिगत जनगणना करवायेंगे और दलित, मुस्लिम, पिछड़ा और अति पिछड़ा विरोधी भाजपा को सता से बेदखल करेंगे.

वहीं बिहार की राजनीति में पहले कथित सवर्ण जातियों का बोलबाला था, समय ने करवट ली और उसके बाद बिहार की राजनीति में ओबीसी समुदाय मजबूत स्थिति में दिखा. जातीय जनगणना के आंकड़े जारी होने के बाद अब ईबीसी समुदाय यह कह सकता है कि अगली बारी हमारी है और बिहार में यह वर्ग राजनीति में अपनी भागीदारी को लेकर नए सिरे से दावा कर सकता है.


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