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आरक्षण मामले के बाद नीतीश सरकार को हाईकोर्ट से एक और बड़ा झटका, नगर निकायों में ग्रुप सी-डी के कर्मियों की भर्ती को लेकर हुए संशोधन को किया रद्द

आरक्षण मामले के बाद नीतीश सरकार को हाईकोर्ट से एक और बड़ा झटका, नगर निकायों में ग्रुप सी-डी के कर्मियों की भर्ती को लेकर हुए संशोधन को किया रद्द

PATNA : नगर निकाय के चुनाव में बिहार सरकार को बैकफूट पर लाने के बाद अब पटना हाईकोर्ट ने नीतीश सरकार को एक और बड़ा झटका दिया है। हाईकोर्ट ने निकाय कर्मियों के चयन, नियुक्ति, ट्रांसफर करने की शक्तियों राज्य सरकार के अधीन करने वाले कानूनी प्रावधान को असंवैधानिक करार दिया है। जिसके बाद अब नगर निकायों में होनेवाले ग्रुप सी और डी के तहत होनेवाली तमाम नियुक्तियों में राज्य सरकार का कोई दखल नहीं होगा। मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायमूर्ति एस. कुमार की खण्डपीठ ने शुक्रवार को डॉ. आशीष कुमार सिन्हा और अन्य लोगों की तरफ से दायर रिट याचिकाओं को मंजूर करते हुए उक्त आदेश दिया।   हाईकोर्ट का निर्णय राज्य के लिए ही नहीं बल्कि देशभर के नगर निकायों के लिए नजीर साबित होगा।

पुराना अधिकार दिया वापस, 2021 में किया था संशोधन

राज्य सरकार ने 2007 के नगरपालिका अधिनियम की धारा 36, 37, 38 और 41 में संशोधन किया था। इसके तहत ग्रुप सी और डी वर्ग के कर्मियों का चयन, नियुक्ति व ट्रांसफर करने की शक्तियां राज्य सरकार के अधीन हो गई थी। जबकि इससे पहले यह पूरा अधिकार नगर निकायों के पास था। हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद अब नगर निकाय ग्रुप सी और डी के कर्मियों का चयन, नियुक्ति, ट्रांसफर के साथ ही अनुशासनात्मक कार्रवाई खुद ही कर सकेंगे। 

राज्य सरकार ने पिछले साल 31 मार्च को बिहार नगरपालिका कानून में संशोधन लाते हुए नगर निकाय कर्मियों के कैडर प्रशासन से संबंधित तमाम शक्तियां सरकार ने खुद के अधीन कर ली थी।

कोर्ट ने कहा-यह असंवैधानिक

कोर्ट ने यह तय किया कि संविधान के अनुच्छेद 243 में स्थानीय नगर निकायों को जो प्रशासनिक और वित्तीय स्वायत्तता मिली हुई है। राज्य सरकार द्वारा, कैडर प्रशासन की शक्तियों को खुद के हाथ मे लिए जाने को हाईकोर्ट ने असंवैधानिक कहा। पटना नगर निगम स्टॉफ यूनियन के अध्यक्ष चंद्र प्रकाश सिंह ने कहा है कि निगम कर्मियों की स्वायत्तता को समाप्त करने का राज्य सरकार के प्रयास को हाईकोर्ट के फैसले से बड़ा झटका लगा है।

दूसरे जिलों में स्थानांतरण पर भी सवाल

उक्त संशोधन की वजह से कई जिलों के नगरपालिका कर्मियों को दूसरे जिलों में स्थानांतरित कर दिया गया था। उन ट्रांसफर के खिलाफ बिहार लोकल बॉडीज इंप्लॉयी एसोसिएशन की तरफ से दायर रिट याचिका दायर कर कानूनी चुनौती दिया था। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा लाये गए उक्त संशोधन को संविधान के खिलाफ कहा है।

याची ने कहा-ऐतिहासिक निर्णय हाईकोर्ट का यह निर्णय राज्य ही नहीं, पूरे देशभर के लिए ऐतिहासिक फैसला है। कोर्ट ने 143 पन्नों का आदेश दिया है। इसमें राज्य सरकार द्वारा 31 मार्च 2021 को गजट नोटिफिकेशन के माध्यम से नगरपालिका अधिनियम की धारा- 36,37, 38 और 41 में जो संशोधन किया गया था, उसे कोर्ट ने पूरी तरह से खारिज कर दिया है। इस फैसले के बाद नगरपालिका की जीत हुई है।


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