SAMASTIPUR : जिले में शिक्षा की अलख जगानेवाले नेवा बाबू का आज निधन हो गया. लेकिन उनकी अंतिम यात्रा में उमड़ी भीड़ ने लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया. इस यात्रा में स्कूली बच्चे, बूढ़े,जवान और महिलाएं शामिल हुई. हर किसी की जुबान से एक ही नारा निकल रहा था. जब तक सूरज चाँद रहेगा नेवा बाबू का नाम रहेगा. ये नारा महुआ प्रखंड के नीलकंठपुर गाँव में लगाई जा रही थी.
नेवा बाबू की चले जाने की खबर सुनते ही आसपास के गाँव मे मातमी सन्नाटा छा गया. लोगों की भीड़ अन्तिम दर्शन को जुटने लगी. यहां तक की इस कोरोना काल में बन्द स्कूल के बच्चे यूनिफॉर्म में उनके दर्शन को जुट गए. शव को अन्तिम दर्शन के लिए उनके द्वारा स्थापित स्कूल परिसर में लाया गया. जहां से बच्चों ने रैली निकालकर नारेबाजी करते हए गाँव में शव यात्रा निकाला.
दरअसल आजादी के कई दशकों तक शिक्षा पाने के लिए बच्चे कई कोसों दूर पैदल चलकर स्कूल जाते थे. जिसके कारण अधिकतर बच्चे शिक्षा से वंचित रहते थे. अपने समाज के बच्चों के लिए 1965 में नेवालाल जी ने शिक्षा का अलख जगाया. अपनी भूमि व पैसों से एक स्कूल बनवाया था. उस समय इलाके के कुछ पढ़े लिखे लोगों को उस मे बच्चों को पढ़ाने के लिए रखा. जिसका पैसा भी अपने स्तर से देने का काम किये. धीरे धीरे समय बीतता गया. स्कूल को प्राइमरी से हाईस्कूल का दर्जा प्राप्त कराने का काम किये. आज उनके अन्तिम विदाई पर क्या बूढ़े क्या जवान बच्चों ने भी नम आंखों से भावभीनी विदाई दी.
समस्तीपुर से संजीव तरुण की रिपोर्ट