LUCKNOW : यूपी की राजनीति में उस समय बड़ा भूचाल आ गया जब कुछ दिन पहले समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन की घोषणा कर चुकी रालोद को लेकर यह खबर सामने आई कि वह भाजपा के साथ जाने की तैयारी में है। बताया गया कि भाजपा की तरफ से पार्टी सुप्रीमो जयंत चौधरी को पांच सीटों पर चुनाव लड़ने का ऑफर दिया गया है। वहीं रालोद के भाजपा के साथ जाने को लेकर सपा प्रमुख अखिलेश यादव का बयान भी सामने आ गया है।
लखनऊ में मीडिया से बात करते हुए रालोद के भाजपा के साथ जाने की बात पर उन्होंने कहा कि जयंत चौधरी सुलझे और पढ़े लिखे इंसान हैं। राजनीति की अच्छी समझ रखते हैं। उन्हें पता है किसानों के लिए जो लड़ाई उन्होंने लड़ी है, वह उसे कमजोर नहीं पड़ने देंगे। उन्होंने ये भी बताया कि वह कांग्रेस के राहुल गांधी के साथ न्याय यात्रा में शामिल होंगे
अखिलेश ने अपनी बातों से साफ कर दिया कि गठबंधन फिलहाल रालोद और सपा के बीच गठबंधन को कोई खतरा नहीं है और लोकसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ दोनों पार्टी मिलकर चुनाव लड़ेगी।
रालोद ने भी की पुष्टि
इससे पहले सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने कहा था, ''रालोद के साथ हमारा सात सीटों पर समझौता हो चुका है, उन्होंने भी इस पर सहमति जताई है। राज्यसभा में भी सपा ने जयंत चौधरी को भेजा है। विपक्षी गठबंधन आईएनडीआइए की बैठकों में भी जयंत शामिल होते रहे हैं। ऐसे में सपा के साथ नाराजगी का तो कोई प्रश्न नहीं उठता है।
आरएलडी का 2014 और 2019 का अनुभव कुछ अच्छा नहीं रहा
पश्चिमी यूपी में 2014 में आरएलडी 8 सीटों में से एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं कर पाई थी. वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में 27 सीटों में से बीजेपी ने 19 सीटों और बीएसपी और समाजवादी पार्टी ने 4-4 सीटें यानी कुल आठ सीटों पर जीत हासिल की थी. 2019 में सपा और बसपा के साथ गठबंधन में 3 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली आरएलडी को एक भी सीट पर जीत नहीं मिली थी. वहीं जयंत चौधरी अपनी पारंपरिक सीट बागपत से चुनाव लड़े थे, लेकिन बीजेपी के सतपाल मलिक से कुछ हजार वोटों से हार गए थे