LUCKNOW : यूपी की सियासत में चुनाव भले ही खत्म हो गया है. लेकिन अब भी बहुत कुछ होना बाकि है। यूपी में सत्ता की कुर्सी फिर से संभालने के बाद सीएम योगी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) के मुखिया शिवपाल यादव ने मुलाकात की है। दोनों के बीच लगभग आधे घंटे तक बातचीत हुई है। जिसके बाद यह चर्चा शुरू हो गई है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ मिलकर शिवपाल यादव अपने भतीजे अखिलेश यादव को बड़ा झटका दे सकते हैं।
यूपी चुनाव में मजबूरी में अखिलेश यादव के साथ आए शिवपाल सपा अध्यक्ष से नाराज चल रहे हैं। इस कारण वह मंगलवार को अखिलेश द्वारा बुलाई गई सहयोगी दलों की बैठक में भी शामिल नहीं हुए। यही नहीं शिवपाल ने बुधवार को विधायक के रूप में शपथ ग्रहण की और मीडिया से बातचीत में कहा कि समय आने पर बताऊंगा।
भाजपा के बड़े नेताओं से कर चुके हैं भेंट
सूत्रों के अनुसार पिछले दिनों दिल्ली गए शिवपाल की भाजपा के शीर्ष नेताओं से भेंट हो चुकी है। जल्द ही और नेताओं से भी मुलाकात के उनके कार्यक्रम हैं। चर्चा यह भी है कि भाजपा उन्हें राज्यसभा भेज सकती है।
शिवपाल के किसी कैंडिडेट को नहीं दिया टिकट
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के कहने पर प्रसपा प्रमुख शिवपाल यादव ने सपा के साथ गठबंधन कर लिया था। उन्होंने अपना नेता अखिलेश को मानते हुए अपनी पार्टी तक कुर्बान कर दी थी। इसके बावजूद अखिलेश ने चाचा शिवपाल को सिर्फ एक सीट दी।
हद तो तब हो गई शिवपाल ने अपनी पार्टी के कई नेताओं के नामों की सूची अखिलेश को टिकट देने के लिए सौंपी थी, किंतु इनमें से एक भी नेता को टिकट नहीं दिया गया। वह भी सपा के सिंबल साइकिल पर चुनाव लड़े। परिवार में एकता के नाम पर शिवपाल सब कुछ सहते रहे, जबकि सपा में उनकी उपेक्षा होती रही।
अपना विधायक मानने से किया इनकार
सपा के सिंबल पर चुनाव जीतने के बाद पार्टी शिवपाल यादव को बाहरी मानती है। इसका सबूत तब मिला जब 25 मार्च को विधायक दल की बैठक में नहीं बुलाया। बैठक में न बुलाए जाने पर नाराजगी जताते हुए उन्होंने कहा था कि वह सपा के सक्रिय सदस्य व विधायक हैं। बैठक में नहीं बुलाने को लेकर शिवपाल यादव ने नाराजगी जाहिर करते हुए सपा अध्यक्ष से इस संबंध में जवाब मांगा था।