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NDA का सहभोज और क़बाब में हड्डी के तीन राजदार

NDA का सहभोज और क़बाब में हड्डी के तीन राजदार

PATNA - मोदी सरकार के चार साल पूरे होने का जश्न बिहार भाजपा ने अपने सहयोगी दलों को सहभोज में बुलाकर मनाया। 7 जून की तारीख़ पहले से तय थी लेकिन सीट बंटवारे का राग NDA में कुछ ऐसा छिड़ा की भोज का जायका पहले से ही फीका हो गया। जदयू का हाज़मा पहले से ही बिगड़ा दिख रहा था, रही सही कसर रालोसपा ने पूरी कर दी। किसी तरह सहभोज की रस्मअदायगी हुई लेकिन इस दौरान हुए सबसे बड़े ड्रामा लोगों के सामने नहीं आ सका। न्यूज़ फॉर नेशन आपके लिए सहभोज की एक्सक्लुसिव इनसाइड स्टोरी लेकर आया है। 
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कबाब में हड्डी और तीन राज़दार 
बिहार भाजपा ने कार्यक्रम की तैयारी बड़े स्तर पर की थी लेकिन मामला केवल भोज पर अटक गया। एक तरफ़ सुशील मोदी खुद से नीतीश कुमार के लिए भोजन परोस रहे थे वहीं दूसरी तरफ ज्ञान भवन पहुंचे NDA के नेताओं के बीच मोदी सरकार के चार साल की उपलब्धियों पर छपी बुकलेट भी बांटी जा रही थी। खाने के बीच मोदी सरकार की उपलब्धियों का यह बुकलेट जदयू के जायका बिगाड़ने लगा। ज्ञान भवन में मौजूद जदयू सांसद आरसीपी सिंह अपनी पार्टी के एक नेता के हाथ में बुकलेट देखकर चौंक पड़े। बुकलेट के फ्रंटपेज पर छपी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की तस्वीर देखकर ऐसे बिफरे की सामने मौजूद राज्यसभा सांसद रामनाथ ठाकुर को नित्यानंद राय की बुलाने को कहा। नाराज़ आरसीपी सिंह के सामने नित्यानंद राय आये तो बुकलेट दिखाते हुए  सीधा सवाल किया कि इसे NDA के नेताओं के बीच क्यों वितरित किया जा रहा है? प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक जदयू नेता आरसीपी सिंह का तेवर इतना कड़ा था कि बिहार भाजपा अध्यक्ष नित्यानंद राय को जवाब नहीं सूझा। नित्यानंद केवल इतना भर कह सके कि यह बुकलेट भूलवश वितरित हो गयी। अगले ही पल बुकलेट बांट रहे भाजपा कार्यकर्ताओं को रोक दिया गया। जदयू के भड़के अंदाज़ से  भाजपा नेता इस बात से डर गए कि कहीं सहभोज का ज़ायका चौपट न हो जाये। वैसे भी भाजपा और जदयू के रिश्ते में भोज पर सियासत पुरानी बात है।
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मेजबान भाजपा और मेहमानों की ठसक 
बिहार भाजपा ने मोदी सरकार के चार साल पूरे होने पर 7 जून आयोजित होने वाले कार्यक्रम के लिए सबसे पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से सहमति ली थी। बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से 26 मई को मुलाक़ात की थी। मुलाकात के बाद उन्होंने बताया भी था कि नीतीश कुमार 7 जून को आयोजित होने वाले कार्यक्रम में शामिल होंगे। यही नहीं कार्यक्रम का स्वरूप तय करने के लिए नित्यानंद राय ने 31 मई को जदयू के राष्ट्रीय महासचिव आरसीपी सिंह भी मुलाकात की थी। यह बात पक्की है कि बिहार के सबसे बड़े सभागार ज्ञान भवन में कार्यक्रम इसीलिए रखा गया था कि NDA के सभी दल के नेता कार्यक्रम को संबोधित करें। लेकिन सियासत ने ऐसा असर दिखाया कि ज़ुबान पर ताला लग गया। भाषण की जगह केवल भोजन बचा।

सहयोगियों ने छुड़ाया भाजपा का पसीना
जानकार बताते हैं कि 2019 में बिहार के अंदर फेस वैल्यू और सीट शेयरिंग को लेकर बढ़ी तल्ख़ी के बीच जदयू ने संबोधन के कार्यक्रम से सीधा किनारा कर लिया। रामविलास पासवान भले ही भाजपा के लिए प्रॉक्सी पॉलिटिक्स करते दिखे लेकिन उपेंद्र कुशवाहा ने भाजपा नेताओं के सर से खूब पसीना निकलवा दिया। 
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नीतीश आये तो भाजपा नेताओं को मिली राहत
सहभोज में नीतीश कुमार के पहुंचने से बिहार भाजपा के नेताओं को बड़ी राहत मिली। सुशील मोदी और नित्यानंद राय ने जिस बॉडी लैंग्वेज के साथ नीतीश कुमार का पहले स्वागत और फिर उनके लिए भोजन परोसा वह उनकी मनोदशा को बयां कर रहा था। जदयू के रवैये से बिहार भाजपा सकते में है। सबसे ज़्यादा ख़ौफ़ भाजपा के उन नेताओं में है जो 2015 में चुनावी हार के बावजूद सरकार में वाइल्ड कार्ड इंट्री पा चुके हैं। ऐसे में उन्हें सत्ता के क़बाब में कोई हड्डी बर्दाश्त नहीं।

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