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महागठबंधन के सारे दल अपनी डफली अपना राग वाली राजनीति के रास्ते पर,इससे बिहार का भला होने वाला नहीं - ललित

महागठबंधन के सारे दल अपनी डफली अपना राग वाली राजनीति के रास्ते पर,इससे बिहार का भला होने वाला नहीं - ललित

PATNA : वंचित समाज पार्टी के चुनाव अभियान समिति के चेयरमैन ललित सिंह ने कहा कि विपक्षी एकता के नाम पर यूपीए (महागठबंधन) के लोग सत्ता हथियाने के नाम पर एकजुट हुए हैं, लेकिन प्रतिदिन कोई इधर जा रहा है तो कोई उधर जा रहा है. सभी अपनी डफली बजा रहे हैं. बिहार की चिंता किसी को नहीं है. अपने अपने सियासत साधना के चक्कर में मुद्दों के प्रति संवेदनहीनता की पराकाष्ठा पार कर रहे महागठबंधन के दल किसी कीमत पर बिहार की जनता का भला नहीं चाहते. सेलेक्टेड मुद्दे पर सियासत साध कर सिर्फ अपना उल्लू सीधा करने में लगे हैं. प्रदेश में विधि व्यवस्था का आलम यह है कि सिर्फ 24 घंटे में 10- 10 लोगों के हत्याओं को अपराधियों के द्वारा अंजाम दिया जा रहा है. लूट, हत्या और बलात्कार जैसे अपराध के ग्राफ में बेतहाशा वृद्धि से एक बार फिर बिहार राष्ट्रीय पटल पर बुरी तरह बदनाम हो रहा है. इन सबों के बीच सरकार का विरोध करने के नाम पर एकजुट हुए महागठबंधन के दल सिर्फ अपने को महिमामंडित करने में जुटे हैं. उन्हें बिहार के विकास और बेरोजगार नवयुवकों से रत्ती भर भी मतलब नहीं. इसी का परिणाम है कि तेजस्वी यादव जिन्हें नेता प्रतिपक्ष का भी तमगा प्राप्त है. वह गोपालगंज में किसी खास जाति के हत्या पर तो उबल जाते हैं. वहीं दूसरी जगह हुए हत्याकांड के ऊपर मौन साध लेते हैं. ऐसा नहीं चलने वाला है.

ललित मोहन सिंह ने केंद्र और बिहार सरकार को भी निशाने पर लेते हुए कहा कि ये दोनों अंधे और बहरों की सरकार हैं.  इन लोगों ने भी कभी बिहार के विषय में नहीं सोचा. उन्होंने कहा कि बिहार में अब तक जितनी भी सरकारें बनी. उन्होंने कभी बिहार में औद्योगीकरण के लिए नहीं सोचा. यही कारण है कि आज यह राज्य पिछड़ा है और लोग भटक रहे हैं.  

उन्होंने कहा कि जब पार्टी के अस्तित्व जाने के बारी आई तो नीतीश कुमार ने तेजस्वी को साथ ले लिया. यह एक चाल थी,स्वार्थ टकराते ही दोनो फिर से अलग हो गए. सिंह ने कहा कि जिस तरह से लॉक डाउन खोला जा रहा है, वह इस बात का द्योतक है कि अब बिहार में सामुदायिक संक्रमण होने वाला है. सरकार ने लोगों को मरने के लिए छोड़ दिया. लोग बच गए, तो वह उनकी किस्मत है. 

उन्होंने कहा कि कोरोना की आड़ में बिहार सरकार एक लाख से ज्यादा बुनकर, 5 लाख से ज्यादा नियोजित शिक्षक और 3 लाख से उपर जूनियर वकील को आर्थिक संकट में डाले हुए हैं. ऐसी स्थिति में सरकार है कहां? सरकार चंद अधिकारियों की जेब में है और पूरे राज्य में लूट खसोट का बाजार गर्म है. 

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