NEW DELHI : एम्बुलेंस प्रकरण में नाम सामने आने के बाद सारण के भाजपा सांसद राजीव प्रताप रूडी ने प्रेस कांफ्रेस कर अपनी तरफ से सफाई दी. मुख्य रुप से उन्होंने कहा की कॉलेज के समय से मैं राजनीति में हूं और मेरे ऊपर अब तक कोई संगीन आरोप नहीं है. मैं अब तक 4 बार लोकसभा सांसद व 2 बार राज्यसभा सांसद रह चुका हूं. लेकिन कभी किसी आरोप में आज तक मेरा नाम नहीं आया है. उन्होंने कहा की मैं अपने ऊपर लग रहे आरोपों का जवाब देने के लिए 8 दिन का समय लिया. क्योंकि मैं तथ्यों के साथ अपनी बात रखना चाहता था.
रूडी ने यह भी कहा की कोरोना महामारी का यह समय आपातकाल जैसा है. ऐसे वक्त में हमें मिलकर इस महामारी से लड़ने की जरूरत है. मुझे समझ नहीं आता है कि ऐसे समय में बिहार सरकार ने किसी को इंस्पेक्टर बनने का परमिशन कैसे दे दिया, जो अस्पताल के अंदर-अंदर जाकर समस्या निकाल रहा है. पप्पू यादव पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा की कोई अपराधी मंदिर में बैठ जाए तो संत नहीं हो जाता. पप्पू यादव पर 32 आपराधिक मामले दर्ज हैं, जो उन्होंने खुद स्वीकार किया है.
सफाई देते हुए उन्होंने कहा की आप चाहें तो मेरा नाम खंगाल के देख लीजिए. किसी मामले में मेरा नाम नहीं मिलेगा. अपराधी के खिलाफ कार्रवाई करना आसान होता है. लेकिन राजनीतिक अपराधी के खिलाफ कार्रवाई करना आसान नहीं होता है. इनके पास संरक्षण होता है, ये बच जाते हैं. पप्पू यादव पर 70 धारा और 31 मामला सहित कई गंभीर अपराधिक मामले यहां तक की डकैत, चोरी, अपहरण तक के दर्ज हैं.
उन्होंने कहा की मैंने कोई गलती नहीं की है. मेरे संसदीय क्षेत्र में सबसे अच्छा एम्बुलेंस का नेटवर्क है. पप्पू यादव द्वारा लगाए गए सारे आरोप निराधार है. Ambulance मेरे घर में नहीं है वो सामुदायिक केंद्र में था और कम्युनिटी सेंटर पर रखा गया है. जहां एम्बुलेंस रखा गया है वह सरकारी जमीन है, जिसका सबूत भी मेरे पास है. Ambulance का काम 10 साल से कर रहे हैं. इन एम्बुलेंसों को मुखिया को दिया जाता है और पंचायत लेवल पर भी community बनता है. कम्यूनिटी ही एम्बुलेंस को लेकर फैसला लेता है. पप्पू यादव ने मेरे संसदीय क्षेत्र के मुखिया, पार्षद अन्य पर आरोप लगाए हैं. ऐसा कर उन्होंने सही नहीं किया है. मैंने ड्राइवर की कमी की जानकारी डीएम को पहले ही पत्र के माध्यम से दे दी थी. बहुत कम लोगों को पता होगा कि क्षेत्र में चल रही एंबुलेंस Control room के जरिए संचालित की जाती है. एम्बुलेंस जब सड़कों पर चलती है तो उन पर निगरानी रखी जाती है.
नई दिल्ली से धीरज कुमार की रिपोर्ट