PATNA : गोपालगंज के DM जी कृष्णैया की हत्या के आरोप में उम्रकैद की सजा काट रहे बाहुबली आनंद मोहन सरकार की सख्ती से परेशान हैं। सहरसा जेल में बंद आनंद मोहन की नकेल जेल प्रशासन ने कस दी है। ना वीआईपी ट्रीटमेंट मिल रहा है और ना ही बाहुबल का रौब चल रहा है। परेशान आनंद मोहन को राहत दिलाने के लिए उनकी पत्नी लवली आनंद मैदान में उतर आयी हैं। लवली आनंद आज मानवाधिकार आयोग पहुंची और सहरसा जेल प्रशासन के खिलाफ शिकायतों का मोटा पुलिंदा सौंपा।
आनंद
मोहन की पत्नी और पूर्व सांसद लवली आनंद गुरुवार को मानवाधिकार आयोग के सदस्य
जस्टिस मंधाता सिंह को ज्ञापन सौंपने पहुंची। उन्होंने आरोप लगाया है कि सहरसा जेल
में लूट खसोट का राज चल रहा है। कैदियों को सही से ना तो खाना दिया जा रहा है और
ना ही इलाज कराया जा रहा है। बेवजह कैदियों का जेल ट्रांसफर कर दिया जा रहा है।
रोजा रखने वाले मुस्लिम कैदियों के लिए इफ्तार-सेहरी का भी बंदोबस्त नहीं किया जा
रहा है। खास शिकायत ये भी थी कि कैदियों को कोर्ट में पेशी के लिए दूसरे जिलों में
भेजने में भी गड़बड़ी की जा रही है। लवली आनंद के इस शिकायती पत्र में आनंद मोहन
का सीधे तौर पर जिक्र नहीं है। लेकिन उनके समर्थक बता रहे थे कि आनंद मोहन के ही
दर्द ने लवली को मानवाधिकार आयोग के दरवाजे पर भेजा।
जेल
में वीवीआईपी ट्रीटमेंट पाते रहे हैं आनंद मोहन
11 साल से जेल में बंद आनंद मोहन का रूआब
ऐसा रहा है कि उन्हें जेल में भी सारी सुविधायें हासिल होती रही हैं। आनंद मोहन को
अपने समर्थकों से मोबाइल पर कॉन्टेक्ट करने में कभी परेशानी नहीं हुई। उन पर बिहार
के कई जिलों में मामले चल रहे हैं। उन जिलों के कोर्ट में पेशी के लिए जाने के
दौरान वे आजाद परिंदे की तरह ही घूमते रहे हैं। सहरसा के इस राजपूत नेता का रसूख
ऐसा है कि एक दलित डीएम की नृशंस हत्या का दोषी साबित होने के बावजूद बिहार के
तमाम बड़े नेता उनके दरवाजे पर हाजिरी लगाते रहे हैं। 2010 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले नीतीश
कुमार आनंद मोहन के पैतृक घऱ पहुंच गये थे। नीतीश ने आनंद मोहन की मां के पैर छूकर
जीत का आशीर्वाद लिया था। तब लालू यादव ने भी आनंद मोहन की खुशामद करने के लिए
अपने खास सिपाहसलार रामकृपाल यादव को दो बार सहरसा जेल भेजा था। इसी साल लालू
फैमिली के मौजूदा सलाहकार शिवानंद तिवारी आनंद मोहन से मिलने सहरसा जेल पहुंचे थे।
शिवानंद तिवारी ने इस बाहुबली नेता से मुलाकात के बाद उन्हें निर्दोष करार दिया था।
फिलहाल
सांसत में हैं आनंद मोहन
आनंद
मोहन फिलहाल सरकार की सख्ती से सांसत में हैं। दूसरे जिलों में पेशी में सरकार ने
सख्ती बरती है। अमूमन तो उन्हें भेजा ही नहीं जा रहा है। कभी मौका मिला भी तो
ऐशो-आराम पर रोक लगा दी गयी है। कुछ महीने पहले उन्हें 48 कैदियों के साथ सहरसा जेल से पूर्णिया
जेल शिफ्ट करने का फरमान जारी कर दिया था। इसके बाद आनंद मोहन अपने समर्थकों के
साथ जेल में अनशन पर बैठ गये थे। विरोध प्रदर्शन के बाद जेल ट्रांसफर तो रूका
लेकिन वीवीआईपी ट्रीटमेंट रूक गया। इससे पहले उन्हें पिछले साल भी जेल प्रशासन की
सख्ती का सामना करना पड़ा था। तब आनंद मोहन ने नीतीश कुमार को पत्र लिखकर आरोप
लगाया था कि सहरसा के जेल अधीक्षक उनकी हत्या कराना चाहते हैं।