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लापरवाही के चलते बुजुर्ग के शव के अंगों को जानवरों ने खाया, NHRC ने स्वास्थ्य विभाग पर लगाया दो लाख रुपये का जुर्माना

लापरवाही के चलते बुजुर्ग के शव के अंगों को जानवरों ने खाया, NHRC ने स्वास्थ्य विभाग पर लगाया दो लाख रुपये का जुर्माना

Desk. कैंसर पीड़ित बुजुर्ग बंदी के शव के अंग जानवर खाने के मामले राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में पहुंचने के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मचा गया है. मामले को लेकर मनवाधिकार आयोग ने स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही मानते हुए स्वास्थ्य विभाग पर दो लाख का हर्जाना लगाया है. यह हर्जाने की राशि मृतक के परिजनों को दी जाएगी. वहीं मामले को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने तीन सदस्यीय टीम बनाकर रिपोर्ट बनायी है. यह मामला उत्तर प्रदेश के संतकबीरनगर का बताया जा रहा है.

बताया जा रहा है कि संतकबीरनगर में विचाराधीन बंदी 70 वर्षीय बंदी मोहम्मद वसील को 4 नवंबर 2018 को गंभीर हालत में जेल से जिला अस्पताल में भर्ती किया गया था. कैंसर का मरीज होने के कारण उसे खून की उल्टियां हो रही थीं. जिस समय कैदी को जिला अस्पताल लाया गया, उसकी मौत हो चुकी थी. इसके बाद शव को जिला अस्पताल की मोर्चरी में रखवा दिया गया. मृतक के परिजनों ने आरोप लगाया कि विभाग की लापरवाही के कारण बुजुर्ग का शव दो दिन तक मर्चरी में पड़ा रहा. शव के अंगों को किसी जानवर ने खा लिया. बाएं कान और दायीं एड़ी के पास का हिस्सा गायब होने निशान मौजूद था. वहीं दाएं नितंब पर सफेद टेप लगाकर घाव छिपाया गया था.

मृतक के परिजनों ने एनएचआरसी में की शिकायत

वहीं इसको लेकर मृतक के परिजनों ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में शिकायत की. इस पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मामले की जांच की. जांच में कई तथ्य सही पाए गए. आयोग का मानना है कि मामला दुखद और चौकाने वाला है. मृतक के शव को गरिमा व उचित सम्मान नहीं दिया गया. इस मामले में मानवाधिकार का उल्लंघन हुआ है. इस मामले में आयोग ने स्वास्थ्य विभाग पर दो लाख रुपये का जुर्माना लगाया है तो शासन ने विभाग से रिपोर्ट तलब की है.

जेल में बंदियों के लिए उचित इलाज की सुविधा नहीं

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की जांच में यह भी पाया गया कि जेल में बंदियों को उचित उपचार की सुविधा नहीं मिल रही है. इसका मुख्य कारण जेल में नियमित तौर पर चिकित्साधिकारियों की कमी है. स्वास्थ्य विभाग की ओर से जिला जेल में अस्पताल का संचालन किया जाता है तथा चिकित्सक व अन्य स्टाफ की तैनाती की जाती है. बंदी के बीमार होने पर सबसे पहले जेल के अस्पताल में इलाज कराया जाता है. अगर हालत गंभीर होती है तो बंदी को जिला अस्पताल या मेडिकल कॉलेज रेफर किया जाता है.


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