DESK. नागरिकता (संशोधन) अधिनियम यानी सीएए को लागू करने की घोषणा के बाद अब इसके विरोध में एक प्रमुख मुस्लिम संगठन ने कोर्ट के रुख किया है. इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने सीएए के कार्यान्वयन पर तत्काल रोक लगाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर की है. आईयूएमएल नेता पी के कुन्हालीकुट्टी ने कहा कि नागरिकता को धर्म से जोड़ना अवैध है और इसे अदालत में चुनौती दी जाएगी. उन्होंने कहा, आईयूएमएल सीएए का पुरजोर विरोध करेगा.
वहीं केरल पीसीसी अध्यक्ष के सुधाकरन ने कहा है कि एक बार I.N.D.I.A. सत्ता में आने पर सीएए को समुद्र में फेंक दिया जाएगा. सरकार ने सोमवार को पड़ोसी देशों में प्रताड़ित अल्पसंख्यकों के लिए नई नागरिकता व्यवस्था पेश की. नागरिकता अधिनियम, 1955 में संशोधन के अनुसार, तीन देशों में छह अल्पसंख्यक समुदायों के व्यक्ति, जो 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत में प्रवेश कर चुके हैं, उन्हें अवैध प्रवासियों के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जाएगा. इसमें मुस्लिम समुदाय के लोगों को यह सुविधा नहीं मिलेगी. सीएए लागू होने के बाद देश के मौजूदा मुस्लिमों को किसी प्रकार से नागरिकता खोने का खतरा नहीं है लेकिन अब भारत में घुसपैठ करने वाले पड़ोसी देशों के मुसलमानों को यहां की नागरिकता पाना संभव नहीं होगा.
वहीं सीएए का विरोध करने वाले इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने साफ कहा है कि इसे धर्म से जोड़कर नहीं देखा जाना चहिये. नागरिकता को किसी धर्म विशेषकर से जोड़कर देखना उचित नहीं है. कई मुस्लिम संगठनों के बीच सीएए को लेकर कई तरह की भ्रांतियां हैं. इसमें उनके नागरिकता खोने का खतरा भी कई लोगों को सता रहा है. लेकिन सरकार ने साफ कहा है कि इससे किसी भी मुस्लिम को भयाक्रांत होने की जरूरत नहीं है. यह किसी नागरिक के नागरिकता को खत्म करने की पहल नहीं है. बल्कि घुसपैठ रोकने और पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यक समुदाय को भारत में शरण देने की पहल है.