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अररिया लोकसभा : कांटे की टक्कर में जो जीता वो दूसरी बार पहुंचेगा संसद, पढ़िए पूरी रिपोर्ट

अररिया लोकसभा : कांटे की टक्कर में जो जीता वो दूसरी बार पहुंचेगा संसद, पढ़िए पूरी रिपोर्ट

PATNA : सीमांचल की महत्वपूर्ण अररिया लोकसभा सीट पर बीजेपी और राजद आमने-सामने हैं। राजद नें एक बार फिर से सरफराज आलम को मैदान में उतारा है तो दूसरी ओर बीजेपी नें  प्रदीप कुमार सिंह पर दांव लगाया है।बीजेपी उम्मीदवार प्रदीप कुमार सिंह 2009-14 तक अररिया से सांसद रह चुके हैं ।वहीं राजद कैंडिटेट सरफराज आलम अपने पिता तस्लीमुद्दीन की मृत्यु के बाद खाली हुई सीट पर पहली दफे 2018 में हुए उपचुनाव में जीत दर्ज की थी।इस बार भी 2018 के उप चुनाव वाले प्रत्याशी हीं चुनाव मैदान मे हैं।23 अप्रैल को अररिया के दोनों पहलवानों का किस्मत ईवीएम मे कैद हो जाएगा।

अररिया के दोनों उम्मीदवारों में कोई एक जीतता है तो इस सीट से उनकी दूसरी बार जीत होगी।क्यों कि बीजेपी कैंडिडेट प्रदीप कुमार सिंह 2014 में चुनाव हारने के बाद 2018 के हुए उपचुनाव में भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।

इस सीट का समीकरण

अररिया सीट अल्पसंख्यकों की अच्छी खासी आबादी है।शुरुआती दौर में अररिया कांग्रेस का गढ़ रही।इसके बाद जनता दल या राजद का।1998 में पहली दफा इस सीट से बीजेपी नें अपना विजय पताखा फहराया और रामजी दास ऋषिदेव संसद पहुंचे ।उसके बाद 2004 से लेकर 2014 कर इस सीट पर बीजेपी का कब्जा रहा।अररिया सीट पर एमवाई समीकरण हावी है।इस वजह से आरजेडी की यहां काफी मजबूत स्थिति में रहती है।अररिया लोकसभा क्षेत्र में  वोटरों की कुल संख्या 13,11,225 है. इसमें से महिला मतदाता 6,21,510 और पुरुष मतदाता 6,89,715 हैं.

अररिया लोकसभा के अंदर विस की सीटें

अररिया लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में छह विधानसभा क्षेत्र हैं- नरपतगंज, रानीगंज(सुरक्षित), फारबिसगंज, अररिया, जोकिहाट और सिकटी. जिसमें से सबसे अधिक  4  क्षेत्रों पर पर NDA का कब्जा है।जबकि 1 सीट पर कांग्रेस और एक आरजेडी के पास है.

2018 उपचुनाव का नतीजा

मार्च 2018 के उपचुनाव में अररिया लोकसभा सीट पर कुल सात उम्मीदवार चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे थे. लेकिन सीधा मुकाबला राष्ट्रीय जनता दल के सरफराज आलम और भाजपा-जेडीयू के संयुक्त उम्मीदवार प्रदीप सिंह के बीच माना जा रहा था. भाजपा के प्रदीप सिंह को 447546 वोट मिले और राजद प्रत्याशी सरफराज आलम को 509334 वोट मिले. सरफराज आलम 61788 वोटों से ये चुनाव जीत गए.

चुनाव में सिर्फ जाति है मुद्दा

जानकरों का कहना है कि अररिया में विकास के मुद्दे गौन हैं।पक्ष और विपक्ष के नेताओं के पास सिर्फ जाति का मुद्दा है।अल्पसंख्यक बहुल इलाका होने की वजह से भाजपा   राष्ट्रवाद का झंडा बुलंद किए हुए है ताकि अल्पसंख्यक वोटरों के बाद जो भी वोट हैं उनको गोलबंद किया जा सके।वहीं दूसरी तरफ महागठबंधन धर्मनिरपेक्षता को मुद्दा बनाई हुई है।

अररिया जिले में कई समस्याएं हैं ।लेकिन उस ओर किसी प्रत्याशी की नजर नही है।जिले में न कोई इंजीनियरिंग कॉलेज है और न कोई मेडिकल कॉलेज। रेल के नाम पर जोगबनी से एक-दो ट्रेनें हैं। परमान नदी की वजह से हर साल आने वाले बाढ़ से जनजीवन त्रस्त रहता है लेकिन इस चुनाव में ये मुद्दा नही बन सके।

अररिया से कौन-कौन जीते चुनाव

  • 1967:तुलमोहन राम-कांग्रेस 
  • 1971: तुलमोहन राम, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
  • 1977: महेंद्र नारायण सरदार, भारतीय लोक दल 
  • 1980: डुमर लाल बैठा-भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आई)]
  • 1984: डुमर लाल बैठा, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
  • 1989: सुकदेव पासवान,जनता दल
  • 1991: सुकदेव पासवान, जनता दल
  • 1996: सुकदेव पासवान, जनता दल
  • 1998: रामजी दास ऋषिदेव, भारतीय जनता पार्टी 
  • 1999: सुकदेव पासवान,  राजद 
  • 2004: सुकदेव पासवान, भारतीय जनता पार्टी
  • 2009:प्रदीप कुमार सिंह, भारतीय जनता पार्टी
  • 2014: मोहम्मद तस्लीमुद्दीन, राष्ट्रीय जनता दल
  • 2018:सरफराज आलम, राष्ट्रीय जनता दल (उप चुनाव)


विवेकानंद की रिपोर्ट


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