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भोला यादव की गिरफ्तारी से अब बढ़ सकती है लालू की मुश्किलें, वर्ष 1992 से हैं लालू के सबसे करीबी, जानते हैं कई राज

भोला यादव की गिरफ्तारी से अब बढ़ सकती है लालू की मुश्किलें, वर्ष 1992 से हैं लालू के सबसे करीबी, जानते हैं कई राज

पटना. राजद के पूर्व विधायक भोला यादव को सीबीआई द्वारा बुधवार को गिरफ्तार करने से सबसे ज्यादा लालू यादव की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. लालू यादव के हनुमान कहे जाने वाले भोला यादव के पटना, दरभंगा, दिल्ली आदि ठिकानों पर सीबीआई और आयकर विभाग की कार्रवाई से राजद में जहाँ खलबली मच गई है वहीं लालू परिवार की चिंता भी बढ़ सकती हैं. दरअसल लालू यादव और भोला यादव का करीबी रिश्ता रहा है. भोला यादव उस दौर से लालू यादव के साथ हैं जब लालू बिहार के मुख्यमंत्री हुआ करते थे. 

1962 में पैदा हुए दरभंगा जिला निवासी भोला यादव मगध विश्वविद्यालय से गणित में स्नातकोत्तर हैं. जब 1990 में लालू यादव बिहार के मुख्यमंत्री बने उसी दौर में पटना के पास फतुहा के एक कॉलेज में भोला यादव अतिथि शिक्षक थे. कहा जाता है कि वर्ष 1992 में जब लालू यादव एक कार्यक्रम के सिलसिले में फतुहा गए वहीं उनकी शुरुआती मुलाकात भोला यादव से हुई. हालांकि उसके बाद से भोला यादव लगातार लालू यादव के करीब आते गए.


सूत्रों के अनुसार कुछ वर्ष बीतते बीतते भोला यादव पटना में लालू यादव के नजदीक दिखने लगे और उनके विश्वस्त लोगों में शामिल हो गए. उसी दौर में पटना में सांसदों और विधायकों को भूमि आवंटन के लिए एक सहकारी समिति थी. तब लालू यादव ने भोला को उचित भूमि आवंटन सुनिश्चित करने का काम सौंपा. लेकिन भोला तब लालू के लिए अपरिहार्य हो गए जब 1996 से लालू यादव कानूनी मामलों का सामना करना शुरू कर दिया. सूत्रों का कहना है कि तब लालू ने ही भोला को रांची और दिल्ली सहित विभिन्न अदालतों के लिए अच्छे वकीलों का चयन करने का काम सौंपा. इस बीच, वर्ष 1996 में जब चारा घोटाले के एक मामले में लालू यादव पर सीबीआई ने शिकंजा कसा और लालू को मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा तब भोला यादव उस समय बिहार की मुख्यमंत्री बनी राबड़ी देवी के निजी सचिव के रूप में काम करने लगे. वे वर्ष 2000 से 2005 तक राबड़ी के निजी सचिव रहे. 

वहीं जब लालू यादव 2005 में केंद्रीय रेल मंत्री बने तब भोला ने लालू की छवि बनाने में योगदान दिया. एक अन्य सूत्र ने याद किया कि भोला में कई अच्छे गुण हैं जिससे लालू को अपनी पार्टी के मामलों का प्रबंधन करने में मदद मिलती रही. यहां तक कि राजद से जब लालू के साले बाहर हो गए तब भोला ही सीट बंटवारे के लिए राजद के प्रमुख वार्ताकार बन गए. उन्होंने ही लालू को राजद के लिए उपयुक्त सीटों की पहचान करने में मदद की थी.

इस बीच, वर्ष 2014 में भोला यादव पहली बार बिहार विधान परिषद में एमएलसी बने. वहीं 2015 में वे बहादुरपुर से विधायक चुने गए. हालांकि 2020 के विधानसभा चुनाव में हायाघाट से चुनाव लड़ने वाले भोला यादव को हार का सामना करना पड़ा. 

लालू यादव के रेलमंत्री रहते ही उन पर रेलवे में नौकरी दिलवाने के बदले अभ्यर्थियों से जमीन लेने का आरोप लगा. रेलवे भर्ती घोटाला के तरह ही आईआरसीटीसी को लेकर भी लालू पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा. इन मामलों में लालू यादव पर सीबीआई, आयकर सहित अन्य केंद्रीय एजेंसियों की जांच जारी है. इसी मामले में भोला यादव भी आरोपों से घिरे. भोला को लेकर कहा जाता है कि इन कथित घोटालों में वे लालू यादव के राजदार हैं. इसी कारण वर्ष 2018 में भी उनसे पूछताछ हो चुकी है.

वहीं चार दिन पहले भी भोला यादव को सीबीआई ने पूछताछ के लिए बुलाया था. तब उन्हें कुछ घंटों की पूछताछ के बाद जाने दिया गया था. लेकिन बुधवार को सुबह 5 बजे से ही भोला के बिहार और दिल्ली स्थित ठिकानों पर एक के बाद एक छापेमारी शुरू हुई. उनकी गिरफ्तारी से अब लालू यादव से जुड़े राज को खुलवाने के लिए सीबीआई भोला पर दवाब बना सकती है. इससे आने वाले समय में लालू यादव और उनके परिवार के अन्य आरोपित सदस्यों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.


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