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अरुणोदय की लिखी पुस्तक ‘मां तुम बहुत याद आती हो’ का हुआ लोकार्पण

अरुणोदय की लिखी पुस्तक ‘मां तुम बहुत याद आती हो’ का हुआ लोकार्पण

PATNA : साहित्यकार एवं समाजसेवी अरुणोदय की लिखी पुस्तक ‘मां तुम बहुत याद आती हो’ का लोकार्पण हुआ। यह पुस्तक कृष्णा निकेतन की संस्थापिका कृष्णा सिंह के सामाजिक और आध्यात्मिक जीवन से जुड़े उनके पारिवारिक मित्रों द्वारा अपनी भावनाओं का पुस्तक रुप में संकलन है। कृष्णा निकेतन विद्यालय के सभागार में आयोजित इस लोकार्पण समारोह में आचार्य सुदर्शनजी महाराज समेत कई गणमान्य लोग उपस्थित रहें। 

इस मौके पर पुस्तक के लेखक अरुणोदय ने कहा कि मैंने पुस्तक का आरंभ ‘माँ, तुम मुझे याद नही आती हो’ से किया है। ऐसा इसलिए कि मेरी समझ से याद तो उसे करते है जो, थोड़ी दूरी पर हो। जब मां हर निवाले में हो, हर सांस में हो, तो भला मां दूर भी कैसे हो सकती है? उन्होंने कहा कि मां को भौतिक रूप से तनिक दूर गए करीब इक्कीस वर्ष हो गए, लेकिन लगता है अभी तो कल की बात ही है। कभी लगा ही नही कि, मां इतनी दूर जा चुकी है, जहां से वापसी सम्भव नही.! हर पल, हर खुशी और तकलीफ में तो  मां ने सम्भाला ही तो है, फिर भला मां को कैसे याद किया जाए.?

वहीं कार्यक्रम में उपस्थित रामकथा मर्मज्ञ आचार्य श्री सुदर्शनजी महाराज की सौम्य उपस्थिति ने भी इस साम्वेदिक कार्यक्रम को सारस्वत भाव मे डुबो दिया। वहीं उन्होंने इस मौके पर इस पुस्तक की अगली कड़ी  जिसमें मां जी की आध्यात्मिक यात्रा को संजोया जा रहा के जल्द ही प्रकाशन की घोषणा की। जिसका उपस्थित लोगों ने स्वागत किया। 

 

कार्यक्रम में उपस्थित वक्ताओं ने इस पुस्तक में मां शब्द की व्याख्या और जीवन में मां के महत्व को बताया। ध्रुव गुप्तजी ने मां पर लिखी अपनी एक कविता का पाठ कर, सभी को भाव मे डुबो दिया। वहीं भावना शेखर ने बड़ी ही गहराई से पुस्तक की समीक्षात्मक व्याख्या की। 

फिटनेस गुरु विकास जी और शशांक जी ने भी इस पुस्तक को लेकर अपनी बातें लोगों के सामने रखी। वहीं सत्येन्द्र जी ने विजाग से फेसबुक लाइव से कार्यक्रम की शुभकामनाएं दी।

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