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जानकी नवमी पर महावीर मंदिर में अष्टयाम का आयोजन, विधि-विधान से की गयी पूजा-अर्चना

जानकी नवमी पर महावीर मंदिर में अष्टयाम का आयोजन, विधि-विधान से की गयी पूजा-अर्चना

पटना. रामायण में करुनानिधान भगवान राम की अतिशय प्रिय जनकसुता माता जानकी जी ने महावीर हनुमान जी को अपना पुत्र माना था तथा उन्हें देवता के रूप में पूजित होने का वरदान दिया था। माता और पुत्र का वह संबंध एक बार फिर जीवंत हो उठा जब हनुमानजी के विशेष दिन मंगलवार को पटना के महावीर मन्दिर में जानकी नवमी का आयोजन किया गया। माता जानकी के प्राकट्य दिवस वैशाख शुक्ल नवमी, जानकी नवमी को महावीर मन्दिर में पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना की गयी। इस अवसर पर अष्टयाम का आयोजन भी हुआ।

महावीर मन्दिर के दक्षिण-पूर्वी भाग में स्थित राम-जानकी की प्रतिमा के समक्ष सुबह कलश रखकर पूजा-अर्चना शुरू हुई। महावीर मन्दिर के प्रधान पुरोहित पंडित जटेश झा ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजा संपन्न करायी। इस अवसर पर महावीर मन्दिर न्यास के सचिव आचार्य किशोर कुणाल भी मौजूद थे। पूजन के बाद उसी स्थान पर चौबीस घंटे तक चलने वाले अष्टयाम का आयोजन किया गया।

स्थानीय कीर्तन मंडली ने रामचरितमानस के बालकांड की चौपाई का कीर्तन गायन शुरू किया तो महावीर मन्दिर परिसर भक्ति-रस में सराबोर हो गया। जनकसुता जग जननि जानकी। अतिसय प्रिय करुनानिधान की।। ताके जुग पद कमल मनावउं। जासु कृपा निरमल मति पावउं।। इस चौपाई के सस्वर कीर्तन-जप में महावीर मन्दिर में आनेवाले भक्त भी अपना स्वर देते रहे। 

महावीर मन्दिर में जानकी नवमी के अवसर पर प्रत्येक वर्ष अष्टयाम का आयोजन किया जाता है। कोरोना संक्रमण के कारण विगत दो वर्षों में यह आयोजन नहीं हो पाया था। इस बार पूरे भक्तिभाव से महावीर मन्दिर में जानकी नवमी का आयोजन किया गया। मंगलवार और जानकी नवमी का संयोग होने के कारण महावीर मन्दिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी।

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