PATNA : लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में सदन की बैठक एक निश्चित अंतराल पर किये जाने का प्रावधान संविधान में किया गया है। इन बैठको का मकसद लोकहित से जुड़े मामलों पर सरकार और कार्यपालिका को जवाबदेह बनाते हुए जनजीवन को सरल सुगम और समृद्ध बनाना है। जब सदन की बैठकें नहीं होती है, तब बिहार विधानसभा अपनी विभिन्न समितियों के माध्यम से यह काम करती है। इस लिहाज से बिहार विधानसभा की समितियाँ मिनी विधान सभा की तरह कार्य करती है। इन्हें अधिक प्रभावकारी और सशक्त बनाकर सरकार के कार्यों में न केवल पारदर्शिता लायी जा सकती है, बल्कि कार्यपालिका में बैठे लोकसेवकों को और भी जिम्मेवार बनाया जा सकता है। इससे बिहार विधानसभा की समितियाँ और भी जनोन्मुखी बन सकेंगी। समितियों के सशक्त कार्यकरण से विधायिका भी लोकहित में संविधान प्रदत्त अपने अधिकारों का सकारात्मक इस्तेमाल कर सकेगी और बिहार के विकास में अपना महत्वपूर्ण और सक्रिय भूमिका निभा सकेगी।
यह बातें बिहार विधानसभा के अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने बिहार विधानसभा की सभी समितियों की क्रियाकलाप की विस्तृत समीक्षा के लिए इनसे जुड़ी सभा सचिवालय के पदाधिकारियों के साथ आयोजित बैठक में कही। सिन्हा ने बिहार विधानसभा की सभी समितियों की एक एक कर समीक्षा की। उन्होंने कहा कि बिहार विधानसभा की सभी समितियों के गठन का उद्देश्य और इसका कार्यक्षेत्र स्पष्ट है, लिहाजा इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए सभा सचिवालय के पदाधिकारी तय दिशा निर्देश के अनुरूप अपने अनुभवों के साथ सकारात्मक दिशा में कार्य कर इसे और भी कियाशील बनायें। उन्होंने कहा की बिहार में अभी पंचायत प्रतिनिधियों का चुनाव हुआ है। सरकार की योजनाओं के क्रियान्वयन में इन्हें महत्वपूर्ण भूमिका निभाना है। जिला परिषद् एवं पंचायती राज समिति इसमें बहुत सहायक सिद्ध हो सकती है। विधान सभा की वित्तिय समितियों लोकधन की प्रहरी होती है. ये समितियाँ लोकधन के अपव्यय और गलत उपयोग को रोकती है।
उन्होंने कहा कि बिहार में पर्यटन और विरासत के विकास के लिए बनी क्रमशः पर्यटन उद्योग विकास समिति तथा बिहार विरासत विकास समिति की सकारात्मक सक्रियता से इन क्षेत्रों में विकास के नये आयाम खुल सकते है। पर्यावरण प्रदूषण से बिहार सहित सारी दुनिया प्रभावित हैं, ऐसे में बिहार के मामले में पर्यावरण एवं प्रदूषण नियंत्रण समिति की भूमिका भी कहीं से कमतर नहीं है। महिला एवं बाल विकास समिति को उन्होंने समाज की बेहतरी के लिए एक बेहतर विधायी समिति बताया। पुस्तकालय समिति को डिजिटल लाइब्रेरी से जोड़ने की भी आवश्यकता उन्होंने बतायी। उन्होंने सप्तदश बिहार विधान सभा में आचार समिति और विशेष समितियों को सौंपे मामले का प्रतिवेदन आगामी बजट सत्र से पूर्व समर्पित करने हेतु पदाधिकारियों को समन्वय करने का निर्देश भी दिया। साथ ही समितियों को अधिक सकारात्मक दिशा में क्रियाशील बनाने के लिए सभा सचिवालय के पदाधिकारियों से सुझाव भी आमंत्रित किया। इस बैठक में बिहार विधान सभा के सचिव शैलेन्द्र सिंह तथा संयुक्त सचिव पवन कुमार पाण्डेय भी शामिल थे।
विवेकानंद की रिपोर्ट