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पीएम मोदी के पटना आने के पहले गिरफ्त में आए अतहर और जलालुद्दीन के थे बेहद खतरनाक मंसूबे, 2001 से 2013 तक हर आतंकी घटना से जुड़े हैं तार

पीएम मोदी के पटना आने के पहले गिरफ्त में आए अतहर और जलालुद्दीन के थे बेहद खतरनाक मंसूबे, 2001 से 2013 तक हर आतंकी घटना से जुड़े हैं तार

पटना. भारत को वर्ष 2047 तक इस्लामिक राष्ट्र बनाने का खतरनाक मंसूबा पाले संदिग्ध आतंकी अतहर परवेज और मोहम्मद जलालुद्दीन की गिरफ्तारी से पुलिस ने कई राज खोले हैं. फुलवारीशरीफ के एडिशनल एसपी मनीष कुमार के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 12 जुलाई को पटना दौरे के कुछ घंटों पहले ही संदिग्ध आतंकी अतहर परवेज और मोहम्मद जलालुद्दीन को गिरफ्तार किया गया था. 

उन्होंने बताया कि हमें पहले से सूचना थी कि फुलवारीशरीफ के नयाटोला नहर के पास एक मकान में देश विरोधी और मुख्य रूप से समुदाय विरोधी कार्य किया जा रहा है. इसी क्रम में 6-7 जुलाई को यहां पर मार्शल आर्ट के नाम पर कुछ स्थानीय लोगों को चरमपंथी लोगों द्वारा तलवार, चाकू चलाने का प्रशिक्षण सहित दूसरे समुदाय के प्रति उन्मादित करने, साम्प्रदायिक विद्वेष पैदा करने का प्रयास किया गया था. पुलिस के पास पूरी घटना का सीसीटीवी फुटेज भी है. बाद में पुलिस ने 11 जुलाई की रात छापेमारी की और अतहर परवेज और मोहम्मद जलालुद्दीन को गिरफ्तार किया.

दरअसल, अतहर परवेज सिमी का पूर्व सदस्य रहा है. 2001-02 में जब सिमी बैन हुआ उस समय बिहार में जो आतंकी ब्लास्ट हुआ था उसमें मंजर परवेज गिरफ्तार हुआ था. मंजर भी अतहर का ही भाई है. बाद में अतहर ने वर्ष 2001, 2003, 2013 में बिहार में जो भी आतंकी घटनाएं हुई हैं उसमें गिरफ्तार लोगों के बेलर बनने का काम किया. वह पिछले दो साल से PFI-SDPI का सदस्य बना हुआ है. वहीं मोहम्मद जलालुद्दीन झारखंड में दरोगा रह चुका है लेकिन उसकी गतिविधियां भी संदिग्ध हैं.

मनीष कुमार के अनुसार 11 जुलाई को दोनों की गिरफ्तारी के पूर्व इनकी गतिविधियों को खंगाला गया तो पुलिस ने पाया कि नया टोला के अहमद पैलेस के उपरी मंजिल पर दो महीने से इन लोगों ने ऐसी गतिविधियों को चला रखा है जिसका कोई नाम नहीं है. इसमें दूसरे राज्य के लोग आ रहे हैं. कुछ ऐसे लोग थे जो नाम बदलकर टिकट ले रहे थे और होटल में रह रहे हैं. मुख्य रूप से केरल, तमिलनाडु, झारखंड, पश्चिम बंगाल के युवाओं को बुलाकर यहां प्रशिक्षण दिया जाता था. संप्रदाय विशेष के अशिक्षित और भटके हुए युवकों को प्रशिक्षित कर उन्हें देश विरोधी गतिविधियों में शामिल करना इनका काम था.

पुलिस को इनके ठिकानों से पीएफआई के पंपलेट, झंडे और बुकलेट मिले हैं. वर्ष 2047 में भारत में इस्लामिक राष्ट्र बनाने के लिए दूसरे संप्रदाय के खिलाफ विद्वेष पैदा करना और दूसरे देशों जैसे पाकिस्तान और तुर्की से सहयोग लेकर भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने की रणनीति थी. मनीष कुमार ने कहा कि यह एक गंभीर और राष्ट्र विरोधी एवं समुदाय विरोधी काम है जिसे किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है. पुलिस अब  इनके जितने भी को-एक्यूज्ड हैं उन सभी की पहचान कर रही है और उन सारे लोगों को पुलिस जल्द ही पकड़ कर जेल में डालेगी. पुलिस समाज को एक संदेश देगी अगर कोई व्यक्ति किसी समुदाय विशेष के खिलाफ किसी गतिविधि में शामिल रहता है तो पुलिस उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी. 


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