पटनाः बिहार में कोरोना संक्रमण से लोग परेशान हैं। लोगों को समझ में नहीं आ रहा कि क्या करें। इस महामारी में सरकारी तंत्र पूरी तरह से फेल साबित हुआ है। सरकार अब तक सिर्फ बड़ी-बड़ी बातें करती दिखी है। हकीकत यही है कि लोगों को अब भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है।संकट की इस घड़ी में जब लोग संक्रमण से बीमार हो रहे,ऐसे में बिना पैसे के कुछ भी संभव नहीं. बिहार के शिक्षकों को कोरोना के इस संकट में भी चार महीनों से वेतन नहीं मिला है। वैसे शिक्षक जो सरकारी तनख्वाह पर जीवन-बसर करते हैं उनके लिए इस दौर में गंभीर संकट खड़ा हो गया है। शिक्षकों के दर्द को लोकगीत के माध्यम से सीएम नीतीश तक पहुंचाने की कोशिश की गई है।
शिक्षक ने लोकगीत के माध्यम से किया चोट
एक नियोजित शिक्षक जो सासाराम के बताए जाते हैं उनका एक लोकगीत इन दिनों वायरल हो रहा। वे अपने छोटे बच्चों के साथ दर्द भरी गीत के माध्यम से सरकार की तंद्रा भंग करने की कोशिश कर रहे हैं. शिक्षक के गीत में दर्द-वेदना है जिसे सुनकर आदमी का दिल पसीज जा रहा। करीब चार मिनट का वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा।
वेतन बिना फैलल भूखमरिया हो.....
लोकगीत के बोल हैं......वेतन बिना फैलल भूखमरिया हो,नौकरिया बेकार हो गईल,सुनी नीतीश जी हमरी खबरिय़ा हो.......।एक तो कोरोना के फैलल महामारी-लागअ ता मर जईहें सभे बारी-बारी.....।चार महीना से मिलल नाहीं वेतन,पान दबाईए के बढ़ल जाला टेंशन,लगअ ता खाई हम जहरिया हो,नौकरिया बेकार हो गईल..सुनिए नीतीश जी हमर खबरिया हो........। बिना वेतन फैलल भूखमरिया हो ................
बता दें, बिहार में करीब 3.50 लाख नियोजित शिक्षक हैं।सरकार ने अब शिक्षकों के आगे से नियोजित शब्द हटा लिये हैं लेकिन आज भी ससमय वेतन नहीं जाता। समय से वेतन की मांग को लेकर शिक्षक लगातार आंदोलन करते रहे हैं। इसके बाद भी सरकार शिक्षकों को समय से वेतन नहीं दे पाती। अब इस कोरोना संकट में शिक्षक परिवार ने लोकगीत के माध्यम से सिस्टम पर चोट किया है.