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5G स्पैक्ट्रम के लिए नीलामी शुरू, जानें किन नेटवर्क सर्विस कंपनियों ने लगाई है बोली

5G स्पैक्ट्रम के लिए नीलामी शुरू, जानें किन नेटवर्क सर्विस कंपनियों ने लगाई है बोली

DESK :  देश में जल्द ही मोबाइल फोन सेवाओं में 5जी सर्विस लागू होने जा रही है, जिसे देखते हुए आज दूरसंचार विभाग 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी करने जा रहा है। इसके तहत नीलामी में शामिल होने के लिए अंतिम रूप से रिलायंस जियो इंफोकॉम, भारती एयरटेल, अडानी डाटा नेटवर्क्स और वोडाफोन आइडिया को अनुमति दी गई है। 

सबसे बड़ी गारंटी मनी रिलायंस की

नीलामी के दौरान 4.3 लाख करोड़ रुपए के कुल 72 GHz स्पेक्ट्रम को ब्लॉक पर रखा जाएगा। इसकी वैलिडिटी 20 साल की होगी। नीलामी विभिन्न लो फ्रीक्वेंसी बैंड, मीडियम और हाई फ्रीक्वेंसी बैंड रेडियो वेव्स के लिए होगी। नीलामी में सफल रहने वाली कंपनी इसके जरिए 5G सर्विस मुहैया करा सकेंगी। यह मौजूदा 4G सर्विस से 10 गुना ज्यादा तेज होगी।

नीलामी में भाग लेने के लिए रिलायंस जियो ने 14,000 करोड़, अडानी समूह ने 100 करोड़, भारती एयरटेल ने 5,500 करोड़, जबकि वोडाफोन आइडिया ने 2,200 करोड़ रुपये की धरोहर राशि जमा कराई है।

सरकार को मिलेंगे एक लाख करोड़

बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि 5जी स्पैक्ट्रम की नीलामी से दूरसंचार विभाग को 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी से 70,000 करोड़ रुपये से लेकर 1,00,000 करोड़ रुपये तक का राजस्व मिलने की उम्मीद है।  हालांकि नीलामी के दौरान आक्रामक ढंग से बोलियां लगाए जाने की उम्मीद कम है। इसकी वजह यह है कि स्पेक्ट्रम पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है जबकि बोलियां लगाने वाली कंपनियां सिर्फ चार हैं।

सरकार केवल एकमुश्त स्पेक्ट्रम शुल्क लेगी

बोलीदाताओं को शेष किश्तों के संबंध में भविष्य की देनदारियों के बिना 10 वर्षों के बाद स्पेक्ट्रम सरेंडर करने का विकल्प दिया जाएगा। सितंबर 2021 के दूरसंचार राहत पैकेज के अनुसार, सरकार केवल एकमुश्त स्पेक्ट्रम शुल्क लेगी। स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क माफ कर दिया गया है। स्पेक्ट्रम के लिए भुगतान 20 समान वार्षिक किश्तों में किया जा सकता है।

स्पेक्ट्रम क्या है और यह कैसे काम करता है?

एयरवेव्स इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम के भीतर रेडियो फ्रीक्वेंसी हैं जो टेलीकॉम सहित कई सर्विसेज के लिए वायरलेस तरीके से सूचना ले जा सकती हैं। सरकार इन एयरवेव्स का मैनेजमेंट और आवंटन करती है। स्पेक्ट्रम को लो फ्रीक्वेंसी से लेकर हाई फ्रीक्वेंस तक के बैंड में डिवाइड किया जा सकता है। हाई-फ्रीक्वेंसी वेव ज्यादा डेटा ले जाती हैं और लो-फ्रीक्वेंसी वेव की तुलना में तेज होती हैं, लेकिन इन्हें आसानी से ब्लॉक या ऑब्सट्रक्ट किया जा सकता है। लोअर-फ्रीक्वेंसी वेव वाइडर कवरेज प्रदान कर सकती हैं।

इन फ्रीक्वेंसी बैंड के लिए नीलामी

नीलामी विभिन्न लो फ्रीक्वेंसी बैंड (600 MHz, 700 MHz, 800 MHz, 900 MHz, 1800 MHz, 2100 MHz, 2300 MHz), मीडियम (3300 MHz) और हाई फ्रीक्वेंसी बैंड (26GHz) में रेडियो वेव्स के लिए आयोजित की जाएगी। ये बैंड ऑपरेटरों को अपने नेटवर्क कवरेज को मजबूत करने में मदद करेंगे। नौ बैंड में से, 600 Mhz, 700 Mhz, 3.3 Ghz और 26 Ghz बैंड कभी आवंटित नहीं किए गए हैं।

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