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शिक्षा विभाग के एक DPO पर करोड़ों के वारा-न्यारा का आरोप, निगरानी-EOU से जांच कराने की सिफारिश

शिक्षा विभाग के एक DPO पर करोड़ों के वारा-न्यारा का आरोप, निगरानी-EOU से जांच कराने की सिफारिश

पटनाः बिहार में घूसखोर अफसरों के आगे पुरा सिस्टम बेबस बना है। शिक्षा विभाग में तो अधिकारी खुलेआम सरकारी राशि लूटते हैं,शिक्षकों को प्रताड़ित कर अवैध उगाही करते हैं और दलालों की मिलीभगत से फर्जी प्रमाण पत्र पर बहाल शिक्षकों को बचाते हैं। औरंगाबाद के एक बदनाम अधिकारी के खिलाफ कई बार जांच की गई,जांच में भारी गड़बड़ी पाई गई और काफी पहले ही वहां के डीएम ने आर्थिक अपराध इकाई या निगरानी विभाग से जांच कराने की सिफारिश की।पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई।


शिक्षा विभाग का DPO जिस पर एक से बढ़कर एक आरोप

औरंगाबाद के तत्कालीन डीपीओ मिथिलेश कुमार भ्रष्टाचार के एक नहीं अनेक आरोप है। मिथिलेश कुमार तत्कालीन जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना के खिलाफ शिक्षकों के प्रशिक्षण का 5 करोड़ की बजट से 50 फीसदी राशि बतौर घूस रखकर शेष राशि लूटने की छूट देने, आदेश की अवहेलना कर और घूस लेकर नियमित शिक्षकों के वेतन मद के आवंटन से एरिया विपत्र का भुगतान करने, औरंगाबाद जिला अंतर्गत 500 से अधिक विद्यालय के पूर्ण विद्युतीकरण हेतु स्वीकृत बजट 841 लाख से कोई काम नहीं कराने का आरोप है। इसके साथ ही आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने, मिथिलेश कुमार के नाम पर लिपिक का पैसा मांगने का ऑडियो वायरल होने के अलावे शिक्षकों का वेतन रोककर प्रताड़ित करने, औरंगाबाद में 145 फर्जी शिक्षक बहाल करने में तत्कालीन डीपीओ मिथिलेश कुमार की भूमिका की जांच करने की सिफारिश की गई है।

निगरानी ब्यूरो को लिखा गया पत्र

औरंगाबाद डीएम ने अपने पत्र में उल्लेख किया है कि मिथिलेश कुमार और उनके विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज किए जाने के बाद कोई कार्रवाई नहीं होने,औरअवैध संपत्ति अर्जित करने आरोप है. आरोपों की जांच अनुमंडल पदाधिकारी की अध्यक्षता में गठित 3 सदस्य टीम ने की थी .जांच टीम ने तमाम आरोपों की जांच निगरानी विभाग या आर्थिक अपराध अनुसंधान इकाई से कराए जाने की सिफारिश की। इसके बाद औरंगाबाद के डीएम ने काफी पहले ही निगरानी एसपी को पत्र लिखकर पूरे मामले की जांच करने का आग्रह किया था। औरंगाबाद डीएम की जांच वाली सिफारिश के करीब 2 महीने बीत गए लेकिन जो जानकारी है उसके अनुसार अब तक जांच शुरू नहीं की गई है। 

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