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रसूख का इस्तेमाल कर डैमेज कंट्रोल में जुटे अवधेश नारायण सिंह

रसूख का इस्तेमाल कर डैमेज कंट्रोल में जुटे अवधेश नारायण सिंह

PATNA - बिहार विधान परिषद् के पूर्व सभापति अवधेश नारायण सिंह के दोनों बेटों पर एयर होस्टेस के साथ मारपीट के मामले में डैमेज कंट्रोल की कोशिशें तेज हो गई हैं. एक नाटकीय घटनाक्रम में पीड़िता मंगलवार की रात अवधेश नारायण सिंह के घर पहुंच गई. पीड़िता ने अवधेश नारायण सिंह को पिता तुल्य बताते हुए माफ़ी मांगी तो पूर्व सभापति भी पीड़िता को बेटी बताकार भावुक हो गए.

डैमेज कंट्रोल की है क़वायद

पीड़िता ने पटना के महिला थाना में जो शिकायत दर्ज कराई उसके मुताबिक 16 मई को अवधेश नारायण सिंह के दोनों बेटों ने प्रशांत रंजन और सुशांत रंजन ने उसके साथ मारपीट की थी. पुलिस ने पीड़िता की शिकायत पर आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए क़ानूनी प्रक्रिया शुरू कर दी है. लेकिन इस पीड़िता के रुख में आई नरमी के बाद यह माना जा रहा कि इस पूरे घटनाक्रम से फजीहत झेल रहे अवधेश नारायण सिंह ने अपने रसूख का इस्तेमाल कर पीडिता पर दबाव बनाना शुरू कर दिया था. अवधेश नारायण सिंह रविवार से ही पटना में बैठकर डैमेज कंट्रोल में लगे हुए थे.

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पीड़िता ने पुलिस कंप्लेन वापस लेने से किया इंकार

हालांकि पीड़िता किस दबाव के कारण अवधेश नारायण सिंह से मिलने पहुंची, इसपर उसने चुप्पी साध ली है लेकिन वह अभी तक उनके दोनों बेटों के ख़िलाफ़ पुलिस कम्प्लेन पर कायम है. अवधेश नारायण सिंह ने पीड़िता से यह पूरी मुलाकात ऑन कैमरा की. माना जा रहा है कि वह इस पूरी क़वायद से अपनी छवि को पाक – साफ़ रखना चाहते हैं.

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पटना पुलिस की कार्यशैली पर भी सवाल

इस हाई प्रोफाइल मामले में पटना पुलिस की कार्यशैली भी सवालों के घेरे में है. आरोपियों की गिरफ्तारी को लेकर पटना पुलिस की रफ़्तार सुस्त है. पुलिस अभी भी गिरफ्तारी के लिए जरुरी कोर्ट की प्रक्रिया पूरी करने में लगी है. मामला एक रसूखदार नेता के दो बेटों से जुड़ा होने के बावजूद पुलिस की धीमी चाल उसकी मंशा पर संदेह खड़ा कर रही है.

अब क्या होगा ?

इस नाटकीय घटनाक्रम के बाद बड़ा सवाल यह है कि इस मामले में आगे क्या होगा? जिस तरह पीड़िता आरोपियों के पिता से मिलने उसके घर पहुंची उसके बाद इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि पूरा केस जल्दी ही मैनेज हो जाएगा. अपनी राजनीतिक साख़ बचाने के लिए अवधेश नारायण सिंह हर क़ीमत पर मामले को खत्म करना चाहेंगे. जानकार बता रहे कि उनके ही परिवार का एक सदस्य सुलहनामे का प्रपोजल पीड़िता को दे चूका है. देखना दिलचस्प होगा कि सियासी कद के आगे पीडिता कितना संघर्ष कर पाती है.

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