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बच्चें भी फैला सकतें है बड़ों की तरह संक्रमण, जानिये किस उम्र के बच्चें से सबसे ज्यादा है खतरा

बच्चें भी फैला सकतें है बड़ों की तरह संक्रमण, जानिये किस उम्र के बच्चें से सबसे ज्यादा है खतरा

DESK: कोरोना महामारी बिल्कुल नयी बिमारी है जिसके बारे में किसी को भी कोई खबर नहीं थी   आज भी विश्स भर में इसको लेकर कई तरह के शोध  किये जा रहें ताकि इस बिमारी को और करीब से जाना जा सकें.अब तक  ये माना जा रहा था कि बच्चों से संक्रमण नहीं फैलता लेकिन हार्वर्ड यूनिवर्सिटी, कोलंबिया विश्वविद्यालय समेत कई संस्थानों के वैज्ञानिकों ने ये दावा किया है कि बच्चे भी वयस्कों जितना ही संक्रमण फैला सकते हैं । वह भी काफी तेजी से संक्रमण की चपेट में आ सकते हैं। शोधकर्ताओं ने  ये चेतावनी भी  दी है कि अगर स्कूल खोले गए तो हालात  और भयावह हो सकते हैं।

दस साल से बड़े बच्चों में अधिक खतरा 
 वैज्ञानिकों  ने दक्षिण कोरिया के 65 हजार लोगों पर अध्ययन करके यह जानने की कोशिश की कि स्कूल खुलने पर क्या नुकसान हो सकतें है.शोधकर्ता एवं मिनिसोटा विश्वविद्यालय के महामारी रोग विशेषज्ञ माइकल ओस्टरहोम का कहना है कि अगर स्कूल खुले तो हर उम्र के बच्चों के संक्रमित होने से नए क्लस्टर पैदा होंगे। ऐसा सोचना खतरे को निमंत्रण देना है कि बच्चे ऐसी जनसंख्या हैं जो वायरस से पूरी तरह सुरक्षित है।


बच्चों पर सबसे बड़ा अध्ययन-
 इस शोध से जुड़े हार्वर्ड ग्लोबल हेल्थ इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ. आशीष झा का कहना है कि यह अध्ययन 65 हजार की बहुत बड़ी आबादी पर किया गया। अब तक हुए अध्ययन काफी कम लोगों को ध्यान में रखकर किए गए थे, इसलिए इस अध्ययन के विश्वसनीयता ज्यादा है।महामारी की शुरुआत  में यूरोप और एशिया में कई तरह के अध्ययन हुए। जिनमें कहा गया कि छोटे बच्चों के  संक्रमित होने और सरों तक फैलाने की संभावना बेहद कम है।  

छोटे बच्चे आधा संक्रमण फैला रहे-
 शोध से जुड़े हार्वर्ड के टीएच चान का कहना है कि दस साल तक के बच्चे वयस्क के मुकाबले आधा संक्रमण फैलाते हैं। इसका कारण यह हो सकता है कि वे मुंह से कम हवा बाहर निकलाते हैं। अथवा कम लंबाई होने से उनके मुंह से निकलने वाले संक्रमित कण जमीन के नजदीक ही रह जाते हैं, जिससे ये कण वयस्कों तक पहुंचने वाली हवा में नहीं घुलते।

बुजुर्गों में क्लीनिक संक्रमण का खतरा ज्यादा-
 नेचर मेडिसिन में छपे शोध के अनुसार, 69 से अधिक उम्र के लोगों में क्लीनिकल संक्रमण का खतरा 69 फीसदी से 82 फीसदी तक हो सकता है। यानी बुजुर्गों में संक्रमण के लक्षण दिखते हैं और उन्हें 69 प्रतिशत मामलों में उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ती है। यह अध्ययन चीन, इटली, जापान, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया में संक्रमण डाटा के आधार पर गणितीय मॉडल से हुआ।

अब ज्यादा युवा संक्रमित हो रहे-
 महामारी की शुरूआत में जहां उम्रदराज लोगों में संक्रमण ज्यादा पाया जा रहा था, वहीं अब पिछले दो महीने से युवाओं में संक्रमण के मामले दुनियाभर में बढ़े हैं। अमेरिका में अर्थव्यवस्था खोलने के बाद एरिजोना, टेक्सास, ओक्लाहोमा, मिसौरी राज्यों में ज्यादा युवा पॉजिटिव पाए गए।क्लीवलैंड क्लीनिक्स के डॉ. फैंक एस्पर का कहना है कि शुरूआत में सीमित संसाधन के कारण खास उम्र के लोगों में ही जांचें हो रही थीं इसलिए युवाओं में संक्रमण के कम मामले सामने आ रहे थे। साथ ही उनका कहना है कि अगर युवाओं में हल्के लक्षण भी हों, तब भी वे बचाव के साधनों का सख्ती से इस्तेमाल न करने के कारण ज्यादा बड़ी आबादी में बुजुर्गों, बच्चों और दिव्यांगों तक संक्रमण पहुंचाते हैं

दोबारा स्कूल खुले तो बच्चों में बढ़ जाएगा खतरा-  
 191 देशों में वायरस के कारण जारी स्कूल बंदी से 150 करोड़ बच्चे और 6.3 करोड़ शिक्षक प्रभावित हैं। वैज्ञानिक मानते हैं कि छोटे बच्चों से भले कम संक्रमण फैलता हो लेकिन दोबारा स्कूल खुलने पर उनकी जान जोखिम में होगी। इतना ही नहीं, इससे समुदायिक स्तर पर संक्रमण भी भयावह हो जाएगा।

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