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पटना विश्वविद्यालय : 22 हजार छात्र पर सिर्फ 305 शिक्षक,यूजीसी के नियमों की उड़ी धज्जियां,हालात और होंगे खराब

पटना विश्वविद्यालय : 22 हजार छात्र पर सिर्फ 305 शिक्षक,यूजीसी के नियमों की उड़ी धज्जियां,हालात और होंगे खराब

पटना : नॉर्थ ईस्ट का ऑक्सफोर्ड कहे जाने वाला जाने वाला पटना विश्वविद्यालय का हाल बेहाल है. 1 साल के अंदर यह और खस्ताहाल हो जाएगा जो विश्वविद्यालय शिक्षा को आबाद करने के लिए जाना जाता था वह खुद सरकारी उपेक्षा की वजह से बर्बाद हो रहा है.

एक साल में सिर्फ 30 फीसदी शिक्षक ही बचेंगे
नॉर्थ ईस्ट के ऐप्स नॉर्थ ईस्ट का ऑक्सफोर्ड कहे जाने वाले पटना विश्वविद्यालय की हालत आखिर इस स्थिति में कैसे पहुंच गया कि जहां छात्र तो हैं पर शिक्षक ही नहीं. क्या यह सरकारी उपेक्षा का परिणाम है. हां है इसका जवाब 100 फीसदी हां है, अगर विश्वविद्यालय के शिक्षकों की सेवानिवृत्ति की उम्र सीमा नहीं बढ़ी तो आने वाले 1 साल के अंदर पटना विश्वविद्यालय में सिर्फ 30 फीसदी शिक्षक ही बचेंगे. मतलब जो विश्वविद्यालय नॉर्थ ईस्ट का ऑक्सफोर्ड कहा जाता था वह बिहार के ही कई विश्वविद्यालयों की अपेक्षा बुरे हालात में होगा.

1967 के बाद से नई स्वीकृति नहीं
 विडंबना देखिए जिस विश्वविद्यालय से नीतीश से लेकर लालू तक ने पढ़ाई की, बिहार की सत्ता में एक बने हुए हैं जबकि दूसरे 15 साल तक बने थे. इन लोगों ने विश्वविद्यालय की भलाई के लिए कुछ सोचा तक नहीं. 1967 के बाद से पटना विश्वविद्यालय में नए पद की स्वीकृत नहीं की गई.

बता दें कि 1967 में पटना विश्वविद्यालय में 9000 छात्र थे. शिक्षकों की सीटें 925 थी. इंटर की पढ़ाई समाप्त होने के बाद 155 शिक्षकों के पद समाप्त हो गए. अब 810 सीटें ही बची है इनमें सिर्फ 305 शिक्षक नियुक्त हैं अब जरा सोचिए कि आज की तारीख में पटना विश्वविद्यालय में 22000 छात्र पढ़ रहे हैं जबकि शिक्षक सिर्फ 305 हैं मतलब 1967 में जितने शिक्षक थे उतने भी शिक्षक पटना विश्वविद्यालय में नहीं बचे हैं. यूजीसी के मापदंडों के अनुसार एक विश्वविद्यालय में 30 छात्रों पर एक शिक्षक होना जरूरी है .अब आप अंदाजा लगा लें कि इस विश्वविद्यालय की स्थिति क्या है?

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