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यूपी के जौनपुर से लोकसभा चुनाव निर्दलीय लड़ेंगे बाहुबली धनंजय सिंह, बीजेपी के उम्मीदवारों की लिस्ट जारी होने के बाद लिया फैसला

 यूपी के जौनपुर से लोकसभा चुनाव निर्दलीय लड़ेंगे बाहुबली धनंजय सिंह, बीजेपी के उम्मीदवारों की लिस्ट जारी होने के बाद लिया फैसला

UP: लोकसभा चुनाव में यूपी के जौनपुर से जदयू नता धनंजय सिंह निर्दलीय लड़ेंगे। लोकसभा चुनाव को लेकर BJP की पहली लिस्ट में जौनपुर से कृपाशंकर सिंह को उम्मीदवार बनाए जाने के बाद धनंजय सिंह ने यह फैसला लिया है। धनंजय सिंह पूर्व सांसद के साथ-साथ जदयू के राष्ट्रीय महासचिव भी रहे हैं। दरअसल, नीतीश के पाला बदलने के बाद से ही एक बड़ा सवाल यह था कि क्या बीजेपी जदयू नेता धनंजय सिंह को लोकसभा का टिकट देगी? बता दें कि, धनंजय सिंह जेडीयू से काफी पुराने समय से जुड़े रहे हैं। एक बार वह जेडीयू के टिकट पर विधायक भी बन चुके हैं। हालांकि इसके बाद उन्होंने बसपा का रुख कर लिया था और सांसद बने थे। लेकिन इसके बाद उनका राजनीतिक ग्राफ नीचे गिरता गया और तमाम पार्टियों में भाग्य आजमाते हुए आखिरकार धनंजय जेडीयू में ही वापस पहुंचे।

जदयू के महासचिव रहे हैं धनंजय

वहीं जब ललन सिंह जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे तब धनंजय सिंह जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव थे। फिलहाल वह जदयू नेता है। धनंजय सिंह 2024 के लोकसभा चुनाव में जौनपुर से टिकट हासिल करने के लिए लगातार प्रयासरत थे। लेकिन बीते दिन बीजेपी के लोकसभा उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की। जिसमें यूपी के जौनपुर से कृपाशंकर सिंह को उम्मीदवार बना दिया। जिसके कुछ घंटे बाद ही बाहुबली नेता धनंजय सिंह ने निर्दलीय लोकसभा चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। सीएम नीतीश के एनडीए में शामिल होने के बाद से ही इस सीट को लेकर सियासी बाजार गर्म था। वहीं उन्होंने अपने सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी दी है। उन्होंने कहा है कि, "साथियों तैयार रहिए, लक्ष्य बस एक लोकसभा 73, जौनपुर"


कई मामले हैं दर्ज

धनंजय सिंह के खिलाफ यूपी में कई मामले दर्ज हैं। 2023 में प्रयागराज में उमेश पाल हत्याकांड के बाद जब पुलिस ने माफिया अतीक अहमद के बेटे असद को झांसी में एनकाउंटर मार गिराया तो उसी दौरान समाजवादी पार्टी मीडिया सेल ने एक सूची जारी की थी। इस खुद सपा ने पुरानी बताया था लेकिन साथ ही लिखा था कि इसमें ज्यादातर अपराधी भाजपा समर्थित हैं और एक्टिव हैं। इस लिस्ट में बताया गया कि जौनपुर से धनंजय सिंह पर 46 मुकदमें हैं। वहीं भाजपा धनंजय सिंह से लगातार दूरी बनाए रखती हो लेकिन फिर भी पिछले कुछ सालों की घटनाओं को लेकर विपक्ष योगी सरकार पर 'पक्षपात' का आरोप भी लगाता रहा।

निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर जीत चुके हैं विधानसभा चुनाव

धनंजय सिंह ने पहली बार 2002 में रारी विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव जीता। इसके बाद 2007 में उन्हें जेडीयू से टिकट मिला और वह विधानसभा पहुंचे। लेकिन 2008 में धनंजय जेडीयू छोड़कर बसपा में शामिल हो गए। 2009 के लोकसभा चुनाव में बसपा ने उन्हें जौनपुर से टिकट दिया और पहली बार धनंजय सिंह सांसद बनकर लोकसभा पहुंचे। लेकिन बसपा से उनके संबंध ज्यादा समय तक नहीं चले। मायावती ने 2011 में उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप लगाकर बाहर कर दिया। वहीं इस बार धनंजय सिंह जौनपुर से चुनाव लड़ने की पूरी तैयारी में थे। लेकिन बीजेपी ने उनको टिकट नहीं दिया जिसके बाद उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला लिए है।  

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