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बाहुबली सूरजभान सिंह को कोर्ट से मिली बड़ी राहत, अदालत ने नौ साल पुराने मामले में किया बरी

बाहुबली सूरजभान सिंह को कोर्ट से मिली बड़ी राहत, अदालत ने नौ साल पुराने मामले में किया बरी

पटना. पूर्व सांसद सूरजभान सिंह की मंगलवार को कोर्ट में पेशी हुई. वे शेखपुरा की अदालत में पेश हुए जहाँ कोर्ट ने उन्हें बड़ी राहत दी है. एक 10 साल पुराने मामले में उन्हें कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया. लोजपा नेता सूरजभान सिंह से जुड़ा यह मामला आचार संहिता उल्लंघन का था. इस मामले में न्यायालय में उपस्थित हुए सूरजभान सिंह को कोर्ट ने साक्ष्य के आभाव बरी कर दिया. सूरजभान पर 2010 में आचार संहिता का मामला दर्ज हुआ था. 

इसके पहले आचार संहिता उल्लंघन के इस मामले में 1 सितम्बर को शेखपुरा न्यायालय के एसीजेएम राजेश कुमार की अदालत में पूर्व सांसद सूरजभान सिंह की पेशी हुई थी. न्यायालय में उन्होंने अपना बयान दर्ज कराया था. तब पूर्व सांसद ने कहा था कि आचार संहिता के मामले में वे निर्दोष हैं. वर्ष 2010 में चुनाव के दौरान बरबीघा से शेखोपुरसराय के बीच कार्यकर्ताओं द्वारा रोड शो शुरू होने के पहले ही वे शेखपुरा से बाहर निकल गये थे. राजनीतिक कारणों से उनका नाम दे दिया गया. वहीं बचाव पक्ष के अधिवक्ता ललन कुमार ने बताया कि वर्ष 2010 के विधानसभा चुनाव के दौरान आचार संहिता उल्लंघन मामले में बरबीघा के सीओ मोहन पंडित द्वारा केस दर्ज कराया था, जिसमें पूर्व सांसद सूरजभान सिंह एवं लोजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष चंदन यादव को अभियुक्त बनाया गया था. चंदन यादव की मृत्यु हो चुकी है. 

सूरजभान सिंह बिहार के बड़े बाहुबलियों में शुमार रहे हैं. उन्होंने वर्ष 2000 के विधानसभा चुनाव में मोकामा से निर्दलीय चुनाव जीता था और पहली बार विधायक बने. उस समय नीतीश कुमार ने पहली बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और सात दिनों तक सीएम रहे. उस दौरान सूरजभान सिंह की पटना के बेउर जेल की तस्वीर सुर्खियां बटोरी थी. तब उन्होंने नीतीश कुमार के लिए समर्थन जुटाने की घोषणा की थी. हलांकि वे ऐसा नहीं कर पाए. बाद में वे रामविलास पासवान के साथ चले गए. 

उन्होंने लोजपा के टिकट से बलिया लोकसभा से चुनाव जीता और सांसद बने. वहीं 2009 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने नवादा संसदीय क्षेत्र में अपनी पत्नी वीणा देवी को उतारा लेकिन वह चुनाव हार गई. बाद में 2014 के लोकसभा चुनाव में मुंगेर संसदीय क्षेत्र से वीणा देवी ने जदयू के मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह को हराया और सांसद बनी. वहीं 2019 के संसदीय चुनाव में सूरजभान के भाई चंदन सिंह ने नवादा से चुनाव में सफलता पाई. हालांकि रामविलास के निधन के बाद लोजपा के दो टुकड़े में बंट जाने पर सूरजभान ने चिराग पासवान की जगह उनके चाचा पशुपति पारस को तरजीह दी. वे मौजूदा समय में उनके साथ हैं. 

सूरजभान पर कई प्रकार के मामले में दर्ज हैं. हत्या से जुड़े एक मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद वे चुनाव लड़ने के पात्र नहीं रह गए. ऐसे में चुनाव आचार संहिता से जुड़े वर्ष 2010 के इस मामले में अदालत द्वारा बरी करने से सूरजभान को बड़ी राहत मिली है. 


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