पटना. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 12 जुलाई को बिहार आएंगे। इससे पहले जदयू ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा की मांग का मुद्दा एक बार फिर छेड़ दिया है। जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने प्रधानमंत्री मोदी के बिहार आगमन को लेकर अपने फेसबुक पर एक पोस्ट शेयर किया है। इसमें उन्होंने कहा है कि 'मैं पीएम मोदी से उम्मीद करता हूं कि वे बिहार को कुछ विशेष (राज्य का दर्जा) अवश्य ही देने की कृपा करेंगे।' इस दौरान उपेंद्र कुशवाहा ने विकास को लेकर बिहार के सीएम नीतीश कुमार और पीएम मोदी की तारीफ भी की।
भ्रष्टाचार पर सीएम नीतीश ने कभी नहीं समझौता किया
साथ ही उन्होंने फेसबुक पोस्ट में भ्रष्टाचार पर सीएम नीतीश और पीएम मोदी की जीर टॉलरेंस नीति की तारीफ करते हुए कहा कि भाजपा और जदयू में वैचारिक विभिन्नताएं होने के बाद भी दीनों नेता में भ्रष्टाचार पर एक जैसी नीति हैं। उन्होंने बिहार में करप्शन को लेकर कहा कि 'सत्तासीन होने के बाद सीएम नीतीश को अनेक तरह की चुनौतियों का सामना करना था, जिनमें से एक बड़ी चुनौती थी- काजल की कोठरी में रह कर अपने को बेदाग बचा लेना। ऐसा करने में वे पूर्णतः सफल भी रहे। उन्होंने भ्रष्टाचार पर अपना-पराया का ख्याल किए बिना कठोरतम एक्शन लेने से परहेज़ नहीं किया।
उपेंद्र कुशवाहा का फेसबुक पोस्ट
'माननीय प्रधानमंत्री जी के पटना आगमन पर एक विशेष अनुभूति का अहसास हो रहा है और वह है -बिहार और देश के वर्तमान मुखिया में एक खास किस्म की समानता का।
मैंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत उस नेता के सानिध्य में की जिसके निधन के समय उनका बैंक एकाउंट खाली था और संपत्ति के नाम पर गांव में एक अदद झोपड़ी, वह भी पैतृक। आप ठीक समझ रहें हैं। वह जननायक कर्पूरी ठाकुर ही थे। उनकी मृत्यु के उपरांत कबीर का यह दोहा फिर से स्मारित हुआ -"जस की तस धर दीनी चदरिया"।
बाद के दिनों में मुझे अपने राजनीतिक सफर का अधिकांश हिस्सा श्री Nitish Kumar जी एवं एक छोटा हिस्सा (संसदीय जीवन का एक कार्यकाल) आदरणीय श्री Narendra Modi जी के सानिध्य में रह कर पूरा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। हां, तो मैं बात कर रहा था...श्री नीतीश कुमार जी एवं श्री नरेन्द्र मोदी जी के बीच एक खास किस्म की समानता के बारे में।
सत्तासीन होने के बाद नीतीश जी को अनेक तरह की चुनौतियों का सामना करना था, जिनमें से एक बड़ी चुनौती थी- काजल की कोठरी में रह कर अपने को बेदाग बचा लेना। ऐसा करने में वे पूर्णतः सफल भी रहे। आज मुझे गर्व होता है, यह सोच कर कि मुझे उस नेता के नेतृत्व में राजनीति करने का सौभाग्य मिला है,जिसने भ्रष्टाचार को लेकर न सिर्फ ज़ीरो टॉलरेंस की बात की, बल्कि अनेकों बार अपना-पराया का ख्याल किए बिना कठोरतम एक्शन लेने से भी परहेज़ नहीं किया।
प्रधानमंत्री जी और मुख्यमंत्री जी की पार्टी में स्पष्ट तौर पर वैचारिक विभिन्नताएं हैं और स्वाभाविक रूप से रहेंगी। परन्तु श्री नरेन्द्र मोदी जी की मंत्री परिषद के सदस्य के रूप में काम करते हुए मैंने वहां भी स्वयं अनुभव किया है कि उनकी आलोचना अलग कारणों से भले की जा सकती हो या की जा रही है मगर भ्रष्टाचार रुपी काजल के पास उतनी स्याही नहीं कि अपनी छिंटें उनके दामन तक पहुंचा सके। तमाम तरह के झंझावातों के बाबजूद शायद यही या कुछ ऐसी समानताएं ही उक्त दोनों नेताओं के साथ चलने का आधार भी बनाती हैं। और यह हमारे लिए भी विचारणीय है कि "ज़ीरो टॉलरेंस की नीति" को सफल बनाने में क्या हम सभी का कोई व्यक्तिगत दायित्व नहीं है? "यदि है तो अपने नेताओं के स्पष्ट संदेश को स्पष्ट रूप ग्रहण करना ही पड़ेगा।"
अपने नेताओं के उक्त संदेश का स्मरण करते हुए प्रधानमंत्री जी के बिहार आगमन पर मैं उनका पूरजोर स्वागत करता हूं तथा उनसे उम्मीद करता हूं कि बिहार को कुछ विशेष (राज्य का दर्जा) अवश्य ही देने की कृपा करेंगे। अन्त में, अभी-अभी यह जानकारी मिली कि माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा नये संसद भवन की छत पर बृहत अखंड भारत के स्वर्णिम काल का ऐतिहासिक प्रतीक और वर्त्तमान में लोकतांत्रिक गणराज्य भारत का राष्ट्रीय चिन्ह विशालकाय "अशोक स्तंभ" का अनावरण हुआ। यह अति प्रशंसनीय और गौरवपूर्ण है, इस कार्य के लिए भी मैं उनके प्रति सहृदय कृतज्ञता व्यक्त करता हूं।'