Begusarai: जिले में पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों का एक बर्बर चेहरा देखने को मिला है. जहा गंभीर बीमारी से ग्रसित एक 75 साल के आरटीआई कार्यकर्ता की जमकर पिटाई किये जाने का आरोप सामने आया है. इस मामले में पीड़ित आरटीआइ कार्यकर्ता ने उन पदाधिकारियों के खिलाफ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, मुख्य सचिव सहित कई आला अधिकारियों से न्याय की गुहार लगाई है.
पिटाई से घायल आरटीआई कार्यकर्ता के शरीर पर पिटाई के कई गम्भीर जख्म मौजूद हैं लेकिन पुलिस इस आरोप को निराधार बता रही है. यह घटना 15 अप्रैल के रात की है जब राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित आरटीआई कार्यकर्ता पर लॉकडाउन का उल्लंघन करने के आरोप में पदाधिकारियो के आदेश पर उनके सिपाहियों और बॉडीगार्डों के द्वारा आरटीआई कार्यकर्ता गिरीश प्रसाद गुप्ता को घर से उठाकर एक सुनसान जगह पर ले जाकर जमकर पिटाई की गई और फिर उनकी गम्भीर स्थिति को देखते हुए उन्हें छोड़ दिया गया.
इस संबंध में गिरीश प्रसाद गुप्ता का कहना है कि वे 2006 से ही आरटीआई के माध्यम से भ्रष्टाचार से संबंधित अब तक सैकड़ों मामलों को उजागर कर चुके हैं. इस दौरान तेघड़ा अंचल कार्यालय से लेकर अनुमंडल कार्यालय तक के कई मामलों की परत दर परत खुलासे किए हैं.हालांकि कुछ मामले अभी लंबित भी हैं. इस कारण सारे अधिकारी हमसे खार खाते हैं.
तेघड़ा एसडीओ डॉ. निशांत, बीडीओ परमानंद पंडित, अंचल अधिकारी आदित्य विक्रम एवं पशुपालन अधिकारी ललन कुमार ने अपनी मौजूदगी में अपने बॉडीगार्ड से उन्हें घर से उठाकर सुनसान जगह ले जाकर जमकर पिटाई की और जब उनकी स्थिति बिगड़ने लगी तब पीआर बांड पर छोड़ दिया गया. जबकि वो किडनी सहित अन्य बीमारियों से ग्रसित होने की दुहाई देते रहे. साथ ही लॉकडाउन में घर के अंदर रहकर सरकारी दिशा निर्देश का पालन करते रहने की भी दुहाई देते रहे लेकिन उन पदाधिकारियों को उनपर दया नही आई. उनका कहना है कि अधिकारियों ने सुनियोजित षड्यंत्र के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई है. वहीं पूछे जाने पर बेगुसराय डीएसपी मुख्यालय कुंदन कुमार सिंह ने बताया कि पुलिस के द्वारा मारपीट की घटना नहीं की गई है.