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गंगा नदी पर बनेगा भागलपुर का पहला रेल पुल, कोसी-सीमांचल से अब बटेश्वर स्थान और बैद्यनाथ धाम जाना होगा आसान, केंद्रीय कैबिनेट से मिली मंजूरी

गंगा नदी पर बनेगा भागलपुर का पहला रेल पुल, कोसी-सीमांचल से अब बटेश्वर स्थान और बैद्यनाथ धाम जाना होगा आसान, केंद्रीय कैबिनेट से मिली मंजूरी

भागलपुर- बिहार में कोसी-सीमांचल क्षेत्र के लोगों के लिए एक अहम रेल पुल की मंजूरी केंद्रीय कैबिनेट से मिली है, इस पुल के बनने से दो महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों बटेश्वर स्थान और बैद्यनाथ धाम तक श्रद्दालु आसानी से पहुँच सकेंगे। यह पुल विक्रमशिला-कटरिया रेल लाइन के हिस्से के रूप में बनाया जाएगा. केंद्रीय कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद स्थानीय लोगों में खुशी देखी गई है. इस परियोजना की लागत लगभग 2549 करोड़ रुपये होगी.

विस्तार और मार्ग

26.2 किलोमीटर की इस नई रेल लाइन का एक छोर कहलगांव के विक्रमशिला से नवगछिया के कटरिया स्टेशन तक होगा। यह बिहार में गंगा नदी पर बनने वाला पाँचवा और भागलपुर में पहला रेल पुल होगा।

प्रभाव और लाभ

इस पुल के निर्माण से उत्तरी और दक्षिणी बिहार के बीच रेल यातायात को मजबूती मिलेगी। धार्मिक स्थलों तक पहुँचने में सहूलियत होगी, खासकर देवघर के बाबा बैद्यनाथ धाम और कहलगांव के बाबा बटेश्वर स्थान तक। सीमांचल के जिले जैसे पूर्णिया, कटिहार, अररिया, और किशनगंज के लोगों का सफर आसान होगा। ओडिशा, झारखंड, और बंगाल का सफर भी सुगम होगा।

 गंगा के तट पर स्थित बटेश्वर स्थान धार्मिक महत्त्व रखता है. दूर-दराज से लोग यहाँ पूजा करने आते हैं. सावन में यहां की छटा निराली होती है. 

इस पुल के बन जाने से देवघर जाना आसान हो जाएगा. झारखंड के देवघर में स्थित मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है. यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं. 12 महीने यहां भक्तों की भीड़ रहती है. सावन के पवित्र मास में बिहार हीं नहीं कई राज्यों के लोग बाबा भोलेनाथ का जलाभिषेक करने आते है. 

 प्रोजेक्ट को 2030-31 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। बरौनी-कटिहार रेलखंड पर स्थित है, जो खगड़िया जिले के मानसी से सहरसा रेललाइन से जुड़ा है। भागलपुर-साहेबगंज रेलखंड पर स्थित है। यह नई रेललाइन सीमांचल को भागलपुर से जोड़ेगी।

झारखंड के गोड्डा लोकसभा के सांसद निशिकांत दुबे ने इस परियोजना को अपनी कर्मभूमि देवघर से जोड़ने पर प्रसन्नता व्यक्त की है। उन्होंने पीएम मोदी और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को धन्यवाद देते हुए इस प्रोजेक्ट के फायदों को गिनाया है, जिसमें विक्रमशिला विश्वविद्यालय, मंदारहिल और देवघर को जोड़ना शामिल है।

यह परियोजना बिहार के कोसी-सीमांचल क्षेत्र के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे वे धार्मिक और सामाजिक रूप से और अधिक सशक्त होंगे।

रिपोर्ट: अंजनी कुमार कश्यप


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