भागलपुर: जिले से एक ऐसी खबर है, जिसे जानकर निश्चित ही गर्व नहीं किया जा सकता है। दरअसल आंकडों के अनुसार कोरोना की दूसरी लहर में राजधानी पटना में हुई मौत के बाद भागलपुर का नाम है। ऑक्सीजन की कमी के कारण हुई मौत के सरकारी आंकड़ों पर अगर गौर करें तो ऑक्सीजन की कमी से मौत के सरकारी आंकड़े बताएं तो पिछले 24 अप्रैल से 7 मई तक तकरीबन 100 से ज्यादा कोविड मरीज की मौत हुई है और अगर गैर सरकारी आंकड़े व जिले के बरारी शमशान घाट के विद्युत शवदाह गृह के रजिस्टर व गंगा किनारे जलाये जा रहे शवों की संख्या चार सौ से ज्यादा है।
सूत्रों की माने तो जेएलएन अस्पताल मायागंज में 700 बेड वाले कोविड अस्पताल से अभी तक सैकड़ों मरीज की मौत हो चुकी है और इन मौतों के पीछे का कारण अस्पताल में ऑक्सीजन के लो प्रेशर से आपूर्ति माना जा रहा है। यह अलग बात है कि भागलपुर के डीएम सुब्रत कुमार सेन व्यवस्था को दुरुस्त करने की बात करते हैं, लेकिन जवाब टालमटोल कर दे रहे हैं। पिछले एक माह में सरकार ने इस कोरोना डेडिकेटेड अस्पताल में सौ मरीजों की मौत बताई है। इनमें 85-90 मरीजों की मौतों का कारण ऑक्सीजन की कमी बताई गई है। पांच मई को मायागंज अस्पताल में 14 मरीजों की मौत हुई। इनमें भी मौतों का कारण ऑक्सीजन बताया गया। इन सबके बीच अस्पताल प्रबंधन का पर्याप्त ऑक्सीजन मिलने का दावा भी दम तोड़ता नजर आ रहा है।
बता दें कि कुछ ही दिन पहले ऑक्सीजन न मिलने के कारण मरीज के परिजनों ने दो डॉक्टरों के साथ मारपीट भी की थी। यह भी बताया जा रहा है कि अस्पताल में पाइप से मरीजों के बेड तक ऑक्सीजन सप्लाई करने वाले ठेकेदारों ने 11 की बजाय महज तीन कर्मचारी रखे हैं। वे ठीक से सप्लाई की निगरानी नहीं कर पा रहे। आइसोलेशन वार्ड, आईसीयू, इमरजेंसी आदि में अभी भी 60 प्रतिशत बेडों पर सही तरीके से ऑक्सीजन नहीं मिल रहा है।
उधर डीएम सुब्रत कुमार सेन कहते हैं कि ऑक्सीजन लेवल घटने से मरीजों की मौत की बड़ी वजह देरी से एडमिट होना भी है। कई बार उनके परिजन मरीजों की हालत कंट्रोल से बाहर हो जाने पर अस्पताल में एडमिट कराते हैं।