PATNA : पटना हाईकोर्ट ने 11 महीने पहले भोजपुर जिले से लापता हुई एक नाबालिग लड़की का सुराग निकालने में असफल पुलिस की कार्यशैली पर नाराजगी जताई। जस्टिस सत्यव्रत वर्मा ने सियाराम पासवान की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट में मौजूद भोजपुर के एसपी को फटकार लगाया।
पिछले साल नवंबर से गायब हुई नाबालिग लड़की के पिता ने, जिस लड़के को इस अपहरण मामले का आरोपी बनाया, वो याचिकाकर्ता सियाराम का बेटा है । कोर्ट ने भोजपुर के एस पी से जब पूछा कि लड़की की बरामदगी के लिए पिछले 11 महीने से क्या कदम उठाए, तब एसपी संतोष जनक जवाब नही दे सके।
उन्होंने कोर्ट को बताया कि नका तबादला पिछले महीने ही भोजपुर हुआ था । एसपी ने बताया कि लड़की के मोबाइल लोकेशन और उसके सोशल साइट एकाउंट को खंगाला गया है और कुछ सुराग हाथ लगे हैं । कोर्ट ने टिपण्णी की कि यह ठोस कदम नए एसपी के आने के बाद हुआ ,उसके पहले पुलिस क्या कर रही थी ? कोर्ट में मौजूद संबंधित महिला थानेदार और अनुसंधान पदाधिकारी भी कोर्ट के सवालों का कोई जवाब नही दे सके ।
हाई कोर्ट ने पूछा कि ऐसे दक्षता वाले पुलिस अफसरों से कैसे क्राइम कंट्रोल करेंगे।आपके दारोगा और हवलदार केवल शराब पकड़ने में अपनी दक्षता दिखाते हैं । नाबालिगों का अपहरण , महिलाओं की सोने की चेन छीनने जैसे अपराध बेलगाम ऐसे असंवेदनशील दरोगाओं के कारण हो रहे हैं। शराब बंदी के मामलों को एफ आई आर पढ़िए,तो लगेगा एक - दो लीटर की शराब बरामद कर किसी हिस्ट्री शीटर या किसी दुर्दांत अपराधी को पकड़ कर लिए हो।
कोर्ट ने भोजपुर एसपी से पीड़िता लड़की को बरामद करने की समय सीमा पूछा, तो एसपी ने एक महीने में अपहृत लड़की की बरामदगी का आश्वासन कोर्ट को दिया। एसपी ने यह भी कहा की इस मामले में ढिलाई बरतने वाले थानेदार और अनुसन्धनकर्ता को जरूरत पड़ने पर निलंबित भी करेंगे। हाई कोर्ट ने एसपी को 30 दिनो का मौका देते हुए इस मामले को 27अगस्त, 2024 के लिए निर्धारित किया।
हाई कोर्ट ने ये भी हिदायत दी कि यदि 26 अगस्त तक अपहृत लड़की बरामद होकर मजिस्ट्रेट के कोर्ट में पेश नही की गई ,तब अगली सुनवाई की तारीख को भोजपुर एसपी समेत संबंधित सभी पुलिसकर्मियों को कोर्ट में उपस्थित रहना होगा।