PATNA : बिहार सरकार ने जाति के वर्गीकरण के संबंध में शनिवार को एक बड़ी सिफारिश की। बिहार
सरकार ने मल्लाह, निषाद (बिंद,बेलदार,चॉयें,तीयर,खुलवट,सुरहिया.गोढ़ी,बनपर, केवट) द,बेलदार,चॉयें,तीयर,खुलवट,सुरहिया.गोढ़ी,बनपर,केवट) और नोनिया जाति को
अनुसूचित जनजाति में शामिल करने के लिए केन्द्र के जनजातीय कार्य मंत्रालय को
सिफारिश भेजी है। इस सिफारिश के साथ इथनोग्राफिक अध्ययन की रिपोर्ट भी भेजी गयी
है।
2015 में भी बिहार सराकर ने ऐसी रिपोर्ट केंद्र को भेजी थी। लेकिन केन्द्र ने इसे यह कह कर लौटा दिया था कि इस सिफारिश के साथ संबंधित जाति की इथनोग्राफिक अध्ययन की रिपोर्ट भी होनी चाहिए। तब बिहार सरकार ने पटना के अनुग्रह नारायण सिंह अध्ययन संस्थान को ये रिपोर्ट तैयार करने की जिम्मेवारी दी थी। जब बिहार सरकार को इन जातियों की इथनोग्राफिक अध्ययन की रिपोट मिल गयी तो बिहार सरकार ने केन्द्र के जनजातीय कार्य मंत्रालय फिर ये अनुशंसा भेजी है।
सितम्बर 2015 में इस प्रस्ताव को कैबिनेट से पास किया गया था। कैबिनेट के
फैसले के एक दिन पहले पटना में निषाद जाति ने खुद को अनुसूचित जनजाति की मान्यता
के लिए बड़ा प्रदर्शन किया था। प्रदर्शनकारियों पर तब पटना पुलिस ने लाठियां भी
चटकायीं थीं। कई नेता घायल भी हुए थे।
कहा जाता है कि इस प्रदर्शन के राजनीतिक महत्व को देखते हुए नीतीश कुमार ने
तुरंत फैसला लिया। निषाद समुदाय की मांग को मूर्त रूप देने के लिए उन्होंने अगले
दिन ही कैबिनेट से इस संबंध में प्रस्ताव पारित करा दिया। उस समय निषाद समुदाय के
नेताओं ने इस फैसले के लिए नीतीश कुमार का धन्यवाद भी दिया था। अब एक बार फिर
मल्लाह, निषाद (उपजातियों समेत) और नोनिया जाति को आदिवासी संवर्ग में शामिल करने
की सिफारिश की गयी है।