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सृजन घोटाला मामले में बड़ी कार्रवाई, भाजपा नेता विपिन शर्मा और रजनी वर्मा सहित तीन लोगों को पूछताछ के लिए CBI ने लिया हिरासत में

सृजन घोटाला मामले में बड़ी कार्रवाई, भाजपा नेता विपिन शर्मा और रजनी वर्मा सहित तीन लोगों को पूछताछ के लिए CBI ने लिया हिरासत में

BHAGALPUR : भागलपुर में सृजन घोटाला मामले में शुक्रवार को सीबीआई की बड़ी कार्रवाई देखने के लिए मिली है| वहीं सीबीआई कोर्ट से अरेस्ट वारंट जारी होने के बाद पहली बार बड़ी संख्या में जांच ब्यूरो के अधिकारी भागलपुर आए हैं| सीबीआइ की टीम ने भागलपुर पहुंचने के बाद अपनी कार्रवाई और भी ज्यादा तेज कर दी है| इसी कड़ी में सीबीआइ की टीम ने सृजन घोटाला में आरोपित विपिन शर्मा को  पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है। हालांकि अभी तक सीबीआइ द्वारा इसकी कोई आधिकारी पुष्टि नहीं की गई है। लेकिन इस बीच  बताया जा रहा है कि दीपक वर्मा की पत्नी रजनी वर्मा और भाभी से भी सीबीआइ पूछताछ कर रही है। मिली जानकारी के अनुसार सीबीआई द्वारा मोहम्मद शकील अहमद की पत्नी जेसमा खातून की गिरफ्तारी के लिए भी ताबड़तोड़ छापेमारी की जा रही  है। सृजन घोटाले में आरोपित विपिन शर्मा भारतीय जनता पार्टी से जुड़े हैं। लेकिन इस घोटाले में नाम आने के बाद उनको किसान प्रकोष्ठ के जिला अध्यक्ष पद से  मुक्त कर दिया गया था। वहीं पदमुक्त होने के बावजूद विपिन शर्मा भाजपा के कई बड़े नेताओं के काफी करीबी रहे हैं। इससे पहले भी उनके यहां बड़े-बड़े नेताओं का लगातार आना - जाना लगा रहता था। बिपिन शर्मा का भागलपुर में अपना बड़ा करोबार भी है। बताया जाता है कि बिपिन शर्मा सृजन घोटाला की सूत्रधार मनोरमा देवी के काफी करीबी थे। उनके निधन के बाद वे मनोरमा देवी के पुत्र अमित और पुत्रवधु प्रिया के काफी नजदीक रहे थे|  

सृजन का सीए पूर्णेन्दु कहलगांव के सनोखर से गिरफ्तार

 सृजन घोटाले की जांच कर रही सीबीआई ने गुरुवार को भी बड़ी कार्रवाई की है। सृजन महिला विकास सहयोग समिति के सीए पूर्णेंदु कुमार चाैबे को कहलगांव के सनोखर से गिरफ्तार कर लिया है। इससे पहले सीबीआई बैंक ऑफ बड़ौदा के अफसर और  सुरक्षाबलों के साथ सुबह 9.30 बजे पूर्णेंदु के डिक्सन रोड स्थित पेट्रोल पंप के पास इंदु मोहन स्मृति बिल्डिंग में गई। यहां पूर्णेंदु नहीं मिला। इस दौरान  टीम को उसके सनोखर में होने की जानकारी मिली थी। इसके उपरांत सीबीआई ने सनोखर से उसे दबोच लिया। वहीं एजेंसी ने अन्य 7 आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए सबौर, तिलकामांझी और अन्य ठिकानों पर भी छापेमारी की थी । जबकि सृजन का मास्टरमाइंड अमित कुमार और उनकी पत्नी प्रिया कुमारी नेपाल में नाम बदल कर रह रहे हैं। समय-समय पर इन दोनों का विशेष वाहन से रांची आने-जाने की बातें कही जा रही है। मनोरमा देवी को तीन पुत्र और तीन पुत्रियां हैं। इनकी बेटियों में कल्पना कर्ण, वंदना कर्ण और अर्चना लाल शामिल हैं।  मनोरमा देवी को तीन पुत्र और तीन पुत्रियां हैं। इनकी बेटियों में कल्पना कर्ण, वंदना कर्ण और अर्चना लाल शामिल हैं। यहां आपको बता दें कि मनोरमा देवी ने बेटे-बहुओं और अपनी बेटियों के नाम से अकुल संपत्ति अर्जित की थी| डा. प्रणव अमीना अंसारी से शादी करने के बाद अस्ट्रेलिया में ही रहने लगे। मनोरमा के तीसरे पुत्र की मृत्यु हो गई है। तीसरे पुत्र की विधवा सीमा कुमारी के पास इन दोनों की तुलना में उतनी संपत्ति नहीं है। मनोरमा के निधन के बाद लेन-देन का काम अमित और उसकी पत्नी प्रिया ही संभाल रही थी। कुल 13 लोगों के खिलाफ ईडी ने नोटिस जारी कर   संपत्ति अर्जित करने की जानकारी मांगी है। वहीं ये सभी लोग वो लोग हैं, जिनका मनोरमा के परिवार से सिर्फ लेन-देन का संबंध था। इनमें कुछ सरकारी कर्मी, व्यवसायी और रीयल एस्टेट के कारोबारी भी बताए जा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अब सृजन के गुनहगारों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है।  ईडी के रडार पर सबसे पहले सृजन की मास्टरमाइंड मनोरमा देवी के परिवार के लोग हैं। ईडी  ने मनोरमा देवी के परिवार के करीब नौ सदस्यों को नोटिस जारी कर संपत्ति खाली करने के आदेश भी दिए हैं।

 सृजन घोटाले में कई और चेहरे पर ईडी के रडार पर, 

 बिहार में करीब 2200 करोड़ रुपये के सृजन घोटाले में सृजन से जुड़े कई और अधिकारी - व्यापारी सहित अन्य लोग भी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की रडार पर हैं। अभी कुछ दिन पहले ही ईडी की गिरफ्त में आए भागलपुर के बड़े कारोबारी और सृजन के मास्टरमाइंड पीके घोष से पूछताछ के बाद ईडी के हाथ कई अहम सुराग भी लगे थे। सूत्रों की मानें तो इनमें एक और कारोबारी भी है, जो सृजन घोटाले में प्रत्यक्ष रूप से शामिल थे| जबकि कुछ अहम सबूत मिलने के बाद ईडी इसके खिलाफ जल्द ही बड़ी कार्रवाई करने का मन बना चुकी है|  प्रवर्तन निदेशालय ने छह अगस्त को ही भागलपुर के प्रणव कुमार घोष को अपनी गिरफ्त में लिया था। इनके खिलाफ ईडी को पर्याप्त साक्ष्य भी मिले थे| बताया जाता है कि इन्होंने सृजन घोटाले में मुख्य साजिशकर्ता की भूमिका निभाई थी। गिरफ्तार पीके घोष सृजन महिला विकास सहयोग समिति में प्रोफेशनल टैक्स सलाहकार के रूप में काम करते थे| 

सृजन घोटाले के खुलासे के बाद से ही मामले कि चल रही है जांच

सृजन घोटाले में प्राथमिकी दर्ज होने की शुरुआत सात अगस्त, 2017 को हुई थी| जबकि बिहार सरकार ने सीबीआइ जांच की सिफारिश 18 अगस्त, 2017 को की ही थी| वहीं केंद्र सरकार ने सीबीआइ जांच से संबंधित अधिसूचना उसी महीने की 21 तारीख को जारी किया था|  26 अगस्त, 2017 को सीबीआइ की टीम भागलपुर पहुंची| इसके साथ ही सीबीआइ के जिम्मे प्रखंड कार्यालयों के खातों से हुए घोटाले के केस सौंपे गये| वहीं करीब तीन साल बाद लगभग 99 करोड़ के गबन का एक नया मामला सामने आया| 

सृजन घोटाले का कुछ इस तरह हुआ था खुलासा

सृजन महाघोटाले में महालेखाकार लेखा परीक्षा दल ने  2007 से 2017 के बीच की अवधि का विशेष ऑडिट किया था| इसी दरमियान इसमें 99 करोड़ 88 लाख 69 हजार 830 रुपये के अतिरिक्त गबन का पता चला| जिसके उपरांत डीएम ने इस संबंध में छह मार्च को मुख्यालय को पत्र भेजा| इसी पत्र के आधार पर एससी-एसटी कल्याण विभाग के संयुक्त सचिव ने प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया था| 

क्या है सृजन घोटाला कुछ इस तरह समझिए

 भागलपुर के सबौर में गरीब और नि:सहाय महिलाओं के उत्थान के  लिए सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड की शुरुआत की गयी थी| इसके पश्चात इसके आड़ में घोटाले पर घोटाले किये जाते रहे|  विभिन्न थानों में दर्ज प्राथमिकी से साफ पता चला है कि सबसे पहले जिला प्रशासन की नजारत शाखा से घोटाले की शुरुआत हुई थी|  16 दिसंबर, 2003 से लेकर 31 जुलाई, 2017 तक नजारत के खजाने से पैसे की अवैध निकासी होती रही|  इसके बाद जिला पार्षद, फिर सहरसा, भागलपुर और बांका भू-अर्जन कार्यालय, कल्याण विभाग और स्वास्थ्य विभाग सहित कई विभागों के खातों से अवैध रूप से मोटी रकम की निकासी की गई | इसी दौरान प्रखंड कार्यालयों के खातों से भी गबन होने की शिकायत मिली थी | वहीं जब 2017 में अगस्त महीने में भागलपुर के जिलाधिकारी के हस्ताक्षर से जारी बैंक चेक को बैंक ने उक्त खाते में पर्याप्त राशि नहीं होने की बात कहकर वापस कर दिया था|  जबकि जिलाधिकारी को जानकारी थी कि बैंक खाते में पर्याप्त सरकारी पैसा है|  लेकिन चेक वापस होने से उन्हें घोटाले की भनक लग गई। जिसके बाद उन्होंने इस मामले की जांच के लिए स्थानीय स्तर पर एक कमेटी बनाई। कमेटी ने अपनी जांच में पाया कि दो बैंकों  में सरकारी पैसा है ही नहीं । यह जानकारी तत्काल सरकार को भेजी गई। इसके बाद घोटाले की परत दर परत खुलनी शुरू हो गई । इसी कड़ी में बिहार सरकार ने पहले आर्थिक अपराध इकाई से जांच कराई। लेकिन बाद में अगस्त महीने के मध्य में सृजन घोटाले  की जांच सीबीआइ के जिम्मे सौंप दी।

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