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छपरा में ओवरलोड बालू ट्रकों पर एक्शन तो 'पटना' में क्यों नहीं ? हर दिन 'दानापुर' के दो चौराहों से गुजरती है सैकड़ों ओवरलोडेड गाड़ियां, एक्शन से किसने रोके हाथ ?

छपरा में ओवरलोड बालू ट्रकों पर एक्शन तो 'पटना' में क्यों नहीं ? हर दिन 'दानापुर' के दो चौराहों से गुजरती है सैकड़ों ओवरलोडेड गाड़ियां, एक्शन से किसने रोके हाथ ?

PATNA:  बिहार में बालू से मलाई निकालने का खेल जारी है। मलाई कई किस्तों में निकाली जाती है। यह मलाई सरकार के खाते में जाने की बजाए अफसरों और माफियाओं के पैकेट में जा रहा. सोन नदी से बालू निकालने के बाद हजारों गाड़ियां राज्य भऱ में जाती हैं. अकेले पटना में ही प्रति दिन बालू से ओवरलोड सैकड़ों वैध-अवैध गाड़ियां आती हैं. कई जिलों में ओवरलोडेड बालू वाली गाड़ियों पर एक्शन भी होता है. शनिवार को छपरा में बड़े स्तर पर ओवरलोडेड या बिना कागज-पत्तर वाले ट्रक-ट्रैक्टरों की जब्ती हुई है. डीएम-एसपी-डीटीओ के नेतृत्व में रात में हुई छापेमारी में 101 ट्रक,35 ट्रैक्टर जब्त किये गये हैं. जब्त गाड़ियों पर परिवहन और खनन विभाग ने करीब 3 करोड़ का जुर्माना लगाया है. अगर छपरा में इतनी बड़ी कार्रवाई हो सकती है तो फिर राजधानी पटना में क्यों नहीं? यह बड़ा सवाल है.

सरकार के एक्शन के बाद भी अधिकारियों में भय नहीं

नीतीश सरकार के नाक के नीचे पटना में ओवरलोडेड बालू लदी गाड़ियों पर कोई एक्शन नहीं होता। जबकि आप सुबह-सुबह दो-तीन जगहों पर पर चलें जाएं तो आपको ओवरलोडेडे ट्रक-ट्रैक्टर दिख जायेंगे. अगर एम्स के पास बने चौराहे पर चले जायें या फिर सुबह-सुबह दानापुर के सगुना मोड पर चले जायें,सैकड़ों ओवरलोडेड बालू लदी गाडियां दिख जायेंगी। आमलोगों को यह बात दिख रही, लेकिन परिवहन विभाग के डीटीओ या स्थानीय पुलिस-प्रशासन को इस पर नजर नहीं पड़ती है. ओवरलोडेड गाड़ियां दिखती नहीं या फिर सबकुछ सेट है यह तो परिवहन के अधिकारी ही बता सकते हैं, लेकिन नुकसान सीधे-सीधे सरकार को हो रहा है. अगर छपरा में ओवरलोडेड बालू लदी गाड़ियों की जब्ती हो सकती है तो राजधानी में क्यों नहीं, यहां दो जगहों पर प्रशासन सख्ती बरते तो शहर के अंदर ओवरलोडेड वाहन प्रवेश ही नहीं करेंगे। जानकारों का कहना है कि ओवरलोडेड ट्रकों और टैक्टर को पुलिसिया संरक्षण में पास कराया जाता है. सोन नदी के किनारे वाले या पटना के रास्त में पड़ने वाले सारे थानों को बालू माफियाओं ने मैनेज कर रखा है. जगह-जगह पास कराने वाले माफिया सक्रिय हैं. बताया जाता है कि बालू में लगे ट्रकों को माहवारी पैसा चुकाना पड़ता है. छोटे ट्रकों से प्रति माह 30 हजार रू लिये जाते हैं. यह रू नीचे से लेकर ऊपर तक जाता है. 

जिम्मेदार अधिकारियों के पास जवाब नहीं 

पटना जिला प्रशासन अगर राजधानी पटना के बाहरी दो प्वाइंट एम्स चौराहा और सगुना मोड़ पर सघन जांच करे तो ओवरलोडेड बालू की गाड़ियां शहर में प्रवेश नहीं कर सकती। लेकिन प्रशासन या परिवहन विभाग के अधिकारी ऐसा नहीं करते। यही वजह है कि छपरा समेत दूसरे जिलों से ओवरलोडेड गाड़ियों की जांच और जब्ती की खबर तो आती है लेकिन राजधानी पटना से इस तरह की खबर सामने नहीं आती है। आखिर पटना में ओवरलोडेड बालू लदी गाड़ियों की जांच क्यों नहीं होती....इसका जवाब किसी के पास नहीं। हमने पटना के डीटीओ से जवाब लेने की कोशिश की,लेकिन वो तो फोन ही रिसीव नहीं करते. आखिर फोन रिसीव करेंगे भी क्या जवाब देंगे...।





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