पटना. राजनेताओं की फितरत होती है कि वे अपना कद बढ़ाने की कोशिश में लगे रहते हैं. लेकिन ऐसा लगता है कि जदयू के एक नेता का ग्राफ दिन-ब-दिन गिरता जा रहा है. उनके जनाधार में गिरावट आ रही है. जदयू एमएलसी भीष्म सहनी का राजनीतिक कद सिमटता दिख रहा है. यह नगर परिषद चुनाव में भी साबित हुआ है. जनता ने उनके परिजनों को चुनाव में हराकर कुछ वैसा ही संकेत दिया है.
दरअसल, 2015 में जदयू से बगहा विधानसभा प्रत्यासी के रूप में भीषम साहनी की मजबूत राजनीतिक पारी की शुरुआत हुई थी. हालांकि विधानसभा चुनाव में भीष्म सहनी चुनाव हार गए थे. उस चुनाव में जदयू राजद के गठबंधन में ही चुनाव लड़ रही थी। इसके बाद नीतीश कुमार की विशेष कृपा से भीष्म सहनी का कद राजनीति में या कहे तो जदयू में लगातार बढ़ता गया। जिसके फलस्वरूप नीतीश कुमार ने भीष्म सहनी को विधान परिषद का सदस्य घोषित कर दिया। अभी भीष्म सहनी बगहा जदयू के बगहा जिला अध्यक्ष भी है।
वहीं अब स्थानीय निकाय चुनाव में भीष्म सहनी अपना दायरा विस्तार करने का सतत प्रयास कर रहे थे जिसमे इनको करारी हार का सामना करना पड़ा है. जनता ने इनको सिरे से खारिज कर दिया है और दो बार से नगर निकाय में वार्ड पार्षद रही इनकी पत्नी भी बुरी तरह चुनाव हार गई है। इतना ही नहीं नगर परिषद बगहा में अपनी पुत्र बधू रिंकी देवी को भीष्म सहनी ने मुख्य पार्षद का चुनाव लड़वाया है. लेकिन पुत्रबधू को भी शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा है।
इन सभी घटनाक्रम और परिणाम को जोड़कर बगहा में अब लोगों में चर्चा है कि भीष्म सहनी को नीतीश कुमार से मिला उपहार का बड़ा कद भी काम नही आया . नगर निकाय चुनाव में विधान पार्षद के परिजनों को लोगो ने सिरे से नकार दिया है। जिससे यह लगता है कि आम आदमी में भीष्म सहनी का ग्राफ दिन ब दिन गिर रहा है।