नीतीश सरकार को हाई कोर्ट से बड़ा झटका, पटना में अतिक्रमण के नाम पर मकान तोड़ने की कार्रवाई को ठहराया अवैध, देना होगा मुआवजा

नीतीश सरकार को हाई कोर्ट से बड़ा झटका, पटना में अतिक्रमण के नाम पर मकान तोड़ने की कार्रवाई को ठहराया अवैध, देना होगा मुआवजा

पटना. पटना हाईकोर्ट ने पटना के राजीवनगर/नेपालीनगर क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने के मामले पर याचिकाओं को स्वीकृत करते हुए वहां के नागरिकों को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने अपने निर्णय में ये स्पष्ट किया कि जो भी निर्माण 2018 के पहले बने है,उस पर दीघा लैण्ड सेटलमेंट एक्ट के तहत  किया जाना है। कोर्ट ने प्रशासन द्वारा नेपालीनगर क्षेत्र में मकान तोड़े जाने को अवैध ठहराया। साथ ही अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया को रद्द कर दिया। 

जस्टिस संदीप कुमार ने 17 नवंबर, 2022 सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया है।  कोर्ट ने इस मामलें पर निर्णय देते हुए कहा कि जिन लोगों के मकानों को गैर कानूनी तरीके से तोड़ा गया है, उन्हें पांच पाँच लाख रुपए मुअबजा देने का निर्देश राज्य सरकार को दिया है। कोर्ट ने साफ किया है कि यदि क्षतिपूर्ति की राशि अगर अधिक हो, तो उस पर विचार कर देना होगा। कोर्ट ने ये भी कहा कि जिनका मकान 2018 के बाद बना है,उन सभी मामलों में दीघा लैण्ड सेटलमेंट एक्ट के तहत विचार करने का निर्देश दिया गया था।

पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने बिहार राज्य आवास बोर्ड को बताने को कहा था कि अब तक पटना में उसने कितनी कॉलोनियों का निर्माण और विकास किया हैं। साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार को एमिकस क्यूरी संतोष सिंह द्वारा प्रस्तुत दलीलों का अगली सुनवाई में जवाब देने का निर्देश दिया था।

पिछली सुनवाई में  कोर्ट ने राज्य सरकार को बिहार राज्य आवास बोर्ड के दोषी अधिकारियों और जिम्मेवार पुलिस वाले के विरुद्ध की जाने वाली कार्रवाई की कार्य योजना प्रस्तुत करने को कहा था। कोर्ट ने कहा था कि ये बहुत आश्चर्य की बात है कि इनके रहते इस क्षेत्र में इतने बड़े पैमाने पर नियमों का उल्लंघन कर मकान बना  लिए गए। इस मामले पर कोर्ट   द्वारा सभी पक्षों को सुनने के बाद निर्णय 17 नवंबर,2022 को सुरक्षित रखा था, जिसे आज सुनाया गया।

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