DESK : टोक्यो ओलंपिक में भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने इतिहास रच दिया है। भारतीय हॉकी टीम ने ओलंपिक में चार दशक का सूखा खत्म करते हुए कांस्य पदक पर अपनी दावेदारी पक्की कर दी है। यहां खेले गए सेमीफाइनल मैच में भारतीय टीम ने शानदार प्रदर्शन करते हुए जर्मनी को 5-4 शिकस्त दे दी है। इसके साथ ही हॉकी टीम की जीत पर देश में बधाइयों का तांता लग गया है।
इससे पहले मैच के पहले ही मिनट में जर्मनी ने ही गोल कर बता दिया था कि भारत के पदक की राहें आसान नहीं होनेवाली है। पहले हाफ तक जर्मनी की टीम ने भारत की सारी कोशिशों को बेकार कर दिया। लेकिन फिर दूसरे हाफ में भारतीय टीम ने शानदार खेल दिखाते हुए मैच का रुख ही पलट दिया।
दूसरे हाफ में भारत ने गजब खेल दिखाया है. भारत ने न सिर्फ लगातार गोल किए बल्कि जर्मनी के खिलाड़ियों को खासा छकाया. जर्मनी की टीम दूसरे हाफ में दबाव में नजर आई. वहीं भारत के खिलाड़ी लगातार गोल की तलाश में दिखे, जिसका उन्हें फायदा मिला. सिमरनजीत सिंह ने हॉकी प्रेमियों को निराश नहीं किया और गोल किए। जिसके बाद जर्मनी ने इस मैच में शानदार खेल दिखाते हुए एक के बाद एक दो गोल दागे. जिसके बाद वह अब 3-1 से लीड बना ली. लेकिन टीम इंडिया ने जबरदस्त वापसी करते हुए महज 2 मिनट में मैच को 5-3 की बढ़त पर ला दिया।
चौथा राउंड रहा बेहद अहम
मैच का चौथा राउंड बेहद अहम रहा, जब 5-3 की लीड के साथ भारतीय टीम मैदान में उतरी। कांस्य पदक के लिए यह 15 मिनट का समय बेहद चुनौती वाला रहा। जर्मनी की टीम लगातार हमले कर रही थी, जिसका उन्हें फायदा भी मिला और उन्होंने जल्द ही अपना चौथा गोल दाग दिया। लेकिन भारतीय टीम इसके बाद बेहद सावधानी से खेलने लगी और मैच के अंत तक अपनी बढ़त रखते हुए कांस्य पदक हासिल करने में कामयाब हो गई।
1980 के बाद पहला पदक
भारतीय हॉकी टीम नें ओलंपिक में अंतिम बार पदक 1980 में हासिल किया था, जब मास्को में भारतीय टीम ने गोल्ड मेडल जीतने में कामयाबी हासिल की थी। इसके बाद भारतीय हॉकी अपने सबसे बुरे दौर से गुजरी। अब उम्मीद की जा रही है कि भारतीय पुरुष हॉकी टीम की तरह महिला हॉकी टीम भी पदक हासिल कर हॉकी के पुराने स्वर्णिम युग की वापसी कराएंगी।