PATNA : पटना हाईकोर्ट ने नई बिल्डिंग (शताब्दी भवन ) के पास मजार से सटे एक बहुमंजिली इमारत के अवैध निर्माण 4 -1 के बहुमत से एक माह के भीतर तोड़ने का निर्देश बिहार भवन निर्माण निगम को दिया। जस्टिस अश्विनी कुमार सिंह की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय जजों की पीठ ने सभी पक्षों की लंबी दलीलें सुनने के सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा गया था, जिसे कोर्ट ने मंगलवार को सुनाया।
पटना हाईकोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि यदि बिहार भवन निर्माण निगम इस अवैध निर्माण को नहीं तोड़ता है, तो पटना नगर निगम इस अवैध निर्माण को तोड़ने की कार्रवाई करेगा। अपने अलग फैसले में जस्टिस ए अमानुल्लाह ने कहा कि जो निर्माण अवैध रूप से दस मीटर से अधिक हैं, उसे ही तोड़ा जाए, ना कि पूरे निर्माण को तोड़ा जाए। कोर्ट ने इससे पहले इस भवन के निर्माण पर रोक लगा दिया था। इस मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस बात पर हैरानी जताई की कि करोना काल में लॉकडाउन के दौरान इस तरह के भवन का निर्माण किस तरह किया गया? सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार से जवाबतलब करते हुए पूछा था कि इसके निर्माण को लेकर क्या पटना हाईकोर्ट और पटना नगर निगम से भी अनुमति ली गई थी ?
राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ललित किशोर ने कोर्ट को बताया था कि नई बिल्डिंग से सटे मजार के करीब वक्फ बोर्ड का चार तल्ला कार्यालय बन रहा है। कार्यालय के सबसे नीचे मुसाफ़िरखाना बन रहा है। य़ह तीन तल्ले का भवन है एवं नई इमारत के निर्माण में किसी प्रकार की अनुमति नहीं ली गई थी। इस पर जजों ने टिप्पणी की थी कि यह गलत तरीके से बना है, बिल्डिंग बायलॉज की धारा 21 में स्पष्ट कहा गया है कि विधान सभा, राजभवन और हाईकोर्ट जैसे महत्वपूर्ण और सुरक्षा की ख्याल रखना आवश्यक है और नियमों के तहत इन संवेदनशील भवनों से सटे कोई दूसरा भवन नहीं बनाया जा सकता है। साथ ही ऊंचाई 10 मीटर से ज्यादा कभी नहीं हो सकती हैं।