GAYA: नालंदा कॉलेज, बिहारशरीफ की छात्रा निकिता सिन्हा के ग्रेजुएशन का सर्टिफिकेट विश्वविद्यालय द्वारा निर्गत ना होने के कारण बिहार लोक सेवा आयोग ने उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया। जानकारी हो कि निकिता सिन्हा बीपीएससी 64वीं की उत्तीर्ण अभ्यार्थी होती परंतु आयोग ने उन्हें ग्रेजुएशन का सर्टिफिकेट जमा न करने के कारण इनकी उम्मीदवारी रद्द कर दी। इस संबंध में गुरुवार को निकिता सिन्हा ने विश्वविद्यालय परिसर पहुंची अपना सर्टिफिकेट प्राप्त किया। इतने दिनों बाद मिले सर्टिफिकेट में उनका नाम ही गलत था।
विश्वविद्यालय या आयोग, कौन लेगा जिम्मेदारी ?
इस संबंध में निकिता ने विश्वविद्यालय अधिकारियों और कर्मचारियों पर उंगली उठाते हुए कहा कि ग्रेजुएशन के सर्टिफिकेट के लिए सितंबर 2020 से लगातार विश्वविद्यालय का चक्कर लगा रही हूं। विश्वविद्यालय के प्रत्येक टेबल पर मेरे द्वारा पैसा दिया गया। उसके बाद भी विश्वविद्यालय ने सर्टिफिकेट मुझे नहीं दिया। बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा निर्गत 64वीं परीक्षा के परीक्षाफल में सर्टिफिकेट जमा न करने के कारण मुझे अयोग्य घोषित किया गया। इसके जिम्मेदार कौन हैं? विश्वविद्यालय या आयोग। निकिता ने कहा कि विश्वविद्यालय के अधिकारी एवं कर्मचारी सही तरीके से पेश नहीं आते। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा गुरूवार को सर्टिफिकेट निर्गत किया गया। उसमें भी गलतियां ही गलतियां है। ऐसा लगता है जैसे यहां के अधिकारी सर्टिफिकेट पर आंख मूंदकर हस्ताक्षर करते हैं।
27 छात्र हैं जिनकी उम्मीदवारी आयोग ने रद्द की- कुलसचिव
इस संबंध में मगध विश्वविद्यालय के कुलसचिव जीतेन्द्र कुमार ने बताया कि इनके जैसे 27 ऐसे छात्र हैं जिन्हें ग्रेजुएशन का सर्टिफिकेट जमा न करने के कारण आयोग ने असफल घोषित किया है।इस संबंध में आयोग से निवेदन किया गया है कि कोरोना काल को ध्यान में रखते हुए इन छात्रों की उम्मीदवारी रद्द नहीं की जाए। उन्होंने कहा कि अगर आयोग नहीं मानती है तो इस समस्या का समाधान न्यायालय में किया जाएगा। उन्होंने छात्रा निकिता सिन्हा को जल्द ही सुधरा हुआ सर्टिफिकेट निर्गत करने का आश्वासन दिया।