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बिहार BJP में चरम पर है गुटबाजी? प्रशिक्षण कार्यक्रम में दूसरे दिन भी नहीं दिखे सुशील मोदी, प्रवक्ताओं की भी नहीं हुई पूछ

बिहार BJP में चरम पर है गुटबाजी? प्रशिक्षण कार्यक्रम में दूसरे दिन भी नहीं दिखे सुशील मोदी, प्रवक्ताओं की भी नहीं हुई पूछ

PATNA: सीएम नीतीश के गढ़ में जाकर भाजपा अपने नेताओं को प्रशिक्षित कर रही है। बीजेपी के दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आज दूसरा दिन है।राजगीर में आयोजित प्रशिक्षण शिविर के पहले दिन बिहार प्रभारी भूपेन्द्र यादव समेत अन्य नेताओं ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया। पार्टी नेताओं ने बिहार भर से आये कार्यकर्ताओं को आगामी रणनीति के बारे में बताया और प्रशिक्षित किया। 

बीजेपी के प्रशिक्षण कार्यक्रम में नहीं पहुंचे सुशील मोदी

दूसरे दिन के समारोप सत्र में पार्टी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष, उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद व रेणु देवी, बिहार सह प्रभारी हरीश द्विवेदी, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल व पूर्व मंत्री डॉ प्रेम कुमार शिरकत किये। लेकिन सबकी निगाहे बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी पर टिकी थी। लेकिन वे न तो पहले दिन के प्रशिक्षण कार्यक्रम में आये और न दूसरे दिन। दूसरे दिन के कार्यक्रम में भी राज्यसभा सांसद सुशील मोदी के राजगीर नहीं पहुंचने पर अब तरह-तरह के सवाल उठने लगे हैं. जानकार बताते हैं कि बिहार भाजपा में गुटबाजी चरम पर पहुंच गई है। उसी का नतीजा है कि बिहार बीजेपी में भीतर ही भीतर काफी रस्सा-कस्सी है।

सुशील मोदी के मीटिंग में नहीं जाने पर तरह-तरह का चर्चा 


जानकारों की मानें तो अब तक बिहार बीजेपी पर सुशील मोदी का वर्चस्व था।लेकिन 2020 विधानसभा चुनाव के बाद दूसरे गुट ने पहले सुशील मोदी को डिप्टी सीएम नहीं बनने दिया. सुशील मोदी के डिप्टी सीएम नहीं बनाये जाने के बाद डैमेज कंट्रोल के तहत नेतृत्व ने उन्हें राज्यसभा भेज दिया है।फिर भी बिहार में गुटबाजी अंदर ही अंदर चरम पर है। हालांकि बिहार बीजेपी के नेता सुशील मोदी के नहीं आने को कोई बड़ी बात नहीं बता रहे।

प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रवक्ता-मीडिया प्रभारियों को भी नहीं पूछा गया  

नालंदा के राजगीर में शनिवार-रविवार को बीजेपी का प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित की गई । लेकिन इस प्रशिक्षण कार्यक्रम से भाजपा ने अपने प्रवक्ताओं को भी अलग रखा। बीजेपी नेतृत्व ने अपने प्रवक्ताओं,मीडिया पैनलिस्ट व मीडिया प्रभारियों को प्रशिक्षण देने की जरूरत नहीं समझा। लिहाजा 9 प्रवक्ता,11 पैनलिस्ट और 4 मीडिया प्रभारियों को पूरी तरह से अलग रखा गया। 

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