SUPOUL : जिले के सरकारी अस्पतालों में कोरोना मरीजों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कहीं बिस्तर उपलब्ध नहीं है, कहीं ऑक्सीजन की कमी है। जिसके कारण मरीजों के लिए उचित व्यवस्था नहीं हो पा रही है। ऐसा ही एक वीडियो सामने आया है। जिनमें कोरोना संक्रमित मरीज ऑक्सीजन की कमी के कारण अस्पताल के रिसेप्शन काउंटर के पास बेहोश होकर जमीन पर गिर गई, लेकिन उसे भर्ती करने की जगह अस्पताल का कर्मी वहीं पर उसे ऑक्सीजन देने लगा। उक्त वीडियो के सामने आने के बाद लोग बिहार सरकार के अस्पतालों में की जा रही व्यवस्था पर सवाल उठा रहे हैं।
दरअसल, उक्त विडियो सुपौल जिले के सदर अस्पताल का बताया जा रहा है। बताया गया कि बुधवार की संध्या सदर अस्पताल के सभी स्टाफ एवं डॉ अपने अपने कामों में लगे हुए थे, तभी अचानक एक कोरोना पॉजिटिव महिला अस्पताल परिसर में आकर ऑक्सीजन की कमी से जमीन के फर्स पर लेटी हुई थी तभी सदर अस्पताल के लैब टेक्नीशियन ठाकुर चंदन सिंह नाइट ड्यूटी में लैब रूम के अंदर जा रहा था। उसने उन्होंने कोरोना पॉजिटिव महिला को अस्पताल में जमीन पर ऑक्सीजन की कमी से लेटे हुए देखा और जल्द से जल्द ऑक्सीजन लाकर पेशेंट को ऑक्सीजन लगाना शुरू कर दी।
किसी मरीज को भर्ती करना का काम लैब टेक्निशियन का नहीं होता है, इसलिए यह नहीं कहा जा सकता है कि उसने गलत किया। उस समय जो सही लगा, उसने वह किया, लेकिन इससे अस्पताल में कोरोना मरीजों के साथ किस तरह की इलाज की व्यवस्था की जा रही है, उसकी सच्चाई सामने आ गई है। सरकार का आदेश है सभी अस्पतालों में कोरोना मरीजों को प्रायोरिटी दी जाए। लेकिन सुपौल के सदर अस्पताल में यह नियम लागू नहीं होता है। जमीन पर बेहोश पड़ी महिला के लिए बेड तक उपलब्ध नहीं हुआ और अस्पताल प्रबंधन के जिम्मेदारी अधिकारियों में से किसी ने उसकी सुधी नहीं ली। बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था जो सरकार की पोल खोलते नजर आ रहे हैं, जिसमें सुधार की आवश्चकता है