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Bihar Diwas 2024: बिहार दिवस की धूम, पटना से लेकर दिल्ली तक भव्य आयोजन, सीएम नीतीश और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने दी शुभकामनाएं

Bihar Diwas 2024: बिहार दिवस की धूम, पटना से लेकर दिल्ली तक भव्य आयोजन, सीएम नीतीश और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने दी शुभकामनाएं

PATNA: बिहार आध्यात्म की भूमि है, बिहार ज्ञान की भूमि है, बिहार शौर्य, शक्ति और संस्कार की भूमि है। बिहार देश के राजनीति को दशा और दिशा देने की भूमि है। आज बिहारवासी बिहार दिवस मना रहे हैं। बिहार दिवस की शुरुआत सीएम नीतीश कुमार के कार्यकाल में शुरू हुई। वहीं इस बार बिहार दिवस को लेकर कोई राज्य स्तरीय कार्यक्रम नहीं होंगे क्योंकि, लोकसभा चुना को लेकर बिहार में आचार संहिता लागू है। हालांकि, बिहार दिवस पर सभी जिलों में स्थानी प्रशासन के दिशा-निर्देश के अनुसार कार्यक्रम होंगे। 

गौरतलब है कि बिहार दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन वर्ष 2010 से शुरू हुआ और हर साल होता रहा है। वहीं, वर्ष 2012 में बिहार शताब्दी दिवस मनाया गया था। बता दें कि शिक्षा विभाग इस समारोह का नोडल है जबकि सरकार के अन्य विभागों की भी इसमें भागीदारी होती रही है। सीएम नीतीश ने बिहार दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि, "गौरवशाली इतिहास व प्रगतिशील वर्तमान से देश एवं दुनिया को राह दिखाने वाले बिहार के स्थापना दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं"। वहीं जदयू के द्वारा सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट कर बताया गया है कि, "ये है मेरा बिहार"।

वहीं नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी आज बिहारवासियों को बिहार दिवस की शुभकामनाएं दी है। उन्होंने बिहार दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि, "बिहार दिवस के अवसर पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। बिहार लोकतंत्र की जननी, विभिन्न धर्मों की उद्गमस्थली, महापुरुषों की जन्मस्थली, वीरों की कर्मभूमि, गौरवशाली इतिहास, समृद्ध विरासत, ज्ञान, सद्भावना और समरसता की पावन धरा है। हम आपसी प्रेम, विश्वास, सामाजिक समरसता एवं धार्मिक सद्भाव रखते हुए अपने संकल्प व जन भागीदारी से बिहार की उन्नति, प्रगति और समृद्धि में हर प्रकार से निरंतर योगदान कर रहे है और करते रहेंगे। आइये, मिलकर बिहार के गौरव को आगे बढ़ाएं। जय हिंद,जय बिहार"।

मालूम हो कि, हर एक क्षेत्र मे बिहार के विभूतियों की उपलब्धियां को दरकिनार करते हुए बिहार को लेकर एक नेगेटिव परसेप्शन तैयार किया जाता है, इसी सोच को बदलने के लिए कटिहार की युवा चित्रकार बिहार दिवस के मौके पर अपने पेंटिंग के माध्यम से बिहार के विभूतियों की इन गौरव गाथा को रंगों से एक छोटे से कनवास में उतरने की कोशिश किया है। अमितेश कहते हैं वह चाहते हैं बिहार की विभूतियों को याद करते हुए देशभर के लोगों में बिहार के प्रति सोच बदले और हर कोई अपने आप को बिहारी कहलन में गर्व महसूस करें।

बता दें कि, बिहार महापुरुषों और सूफी संतों की धरती रही है। बिहार का इतिहास काफी गौरवशाली है। महात्मा बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति यहीं हुई थी। भगवान महावीर का जन्म, ज्ञान की प्राप्ति और निर्वाण यहीं हुआ। सिखों के प्रथम गुरु गुरुनानक देव जी महाराज, सिखों के 9वें गुरु तेगबहादुर जी महाराज भी यहां आये थे। सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह जी महाराज का जन्म भी यहीं हुआ था। वर्ष 2017 में गुरु गोविंद सिंह जी महाराज का 350वां प्रकाशपर्व धूमधाम से यहां मनाया गया था। प्रकाव पर्व का आयोजन प्रति वर्ष किया जाता है।

बिहार सूफी संतों की भी कर्मभूमि रही है। मनेर शरीफ, खानकाह मुजीबिया, खनाकाह मुनिबिया, मित्तन घाट सूफी संतों की भूमि रही है। बिहार सबसे पौराणिक स्थल है। यह चंद्रगुप्त मौर्य, चाणक्य, सम्राट अशोक, आर्यभट्ट की भूमि रही है। महान विभूतियों के नाम पर हमलोगों ने चंद्रगुप्त प्रबंधन संस्थान, सम्राट अशोक कन्वेंशन केंद्र, चाणक्य विधि विवि और आर्यभट्ट ज्ञान विवि की स्थापना करायी। विश्व प्रसिद्ध पुराने नालंदा विवि को भी फिर से शुरू कराया गया है। बिहार म्यूजिमय अंतर्राष्ट्रीय स्तर का बिहार में बना है। बिहार म्यूजियम को पटना म्यूजियम से अंडरग्राउंड से जोड़ा जा रहा है। 

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