पटना : बिहार में चुनाव की रणभेड़ी बज चुकी है. तमाम राजनीतिक दल चुनावी अखाड़े में उतरने के लिए तैयार है. बिहार विधानसभा चुनाव के अखाड़े में एक तरफ जेडीयू-बीजेपी गठबंधन होगा तो दूसरी ओर विपक्षी दलों का महागठबंधन होगा. एनडीए हो या फिर महागठबंधन अभी तक सीट शेयरिंग फाइनल नहीं हुआ है. बात करें बिहार के भोजपुर जिले में आने वाले बड़हरा विधानसभा सीट की, तो इस बार जनता का मूड और समीकरण पूरी तरह से बदल गया है.
बिहार के भोजपुर जिले में आने वाले बड़हरा विधानसभा क्षेत्र में भी चुनावी तापमान चढ़ गया है. बड़हरा विधानसभा सीट पर मौजूदा विधायक लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी के सरोज यादव हैं. लेकिन इस बार सरोज यादव की राह में कई मुश्किलें है. बीते 2015 विधानसभा चुनाव की बात करें तो सरोज यादव ने बीजेपी की आशा देवी को 13,308 वोटों से हराकर चुनाव जीता था. सरोज यादव को 65,001 वोट मिले थे. तो आशा देवी को 51,693 वोट मिले थे. बीते 2015 में आरजेडी के साथ जेडीयू का गठबंधन था, सो बड़हरा सीट पर जेडीयू का वोटबैंक सरोज यादव के लिए काम कर गया. और सरोज यादव पहली बार विधानसभा पहुंच गए. लेकिन इस बार जेडीयू का वोटबैंक बीजेपी के साथ हैं. सो इस सीट पर बीजेपी पर सिक्का चलना तय माना जा रहा है. तय इसलिए भी है कि क्योंकि क्षेत्र की जनता सरोज यादव से काफी नाराज भी दिख रही है. साथ ही आशा देवी की पकड़ बड़हरा विधानसभा क्षेत्र में अभी भी कायम दिख रही है. इसकी वजह ये है कि 2015 में हार के बाद भी आशा देवी का फोकस अपने क्षेत्र में रहा. खासकर कोरोना काल में आशा देवी ने बड़हरा विधानसभा क्षेत्र में लोगों की खूब मदद की. बीजेपी के तरफ से लगभग ये तय माना जा रहा है कि इस बार भी बड़हरा विधानसभा क्षेत्र में टिकट आशा देवी को ही दिया जाएगा. अगर ऐसा होता है तो आरजेडी के सरोज यादव की राह में मुश्किलें बढ़ सकती है.
2015 में 51.6 फीसदी वोटरों ने ही डाला था वोट
2015 के विधानसभा चुनाव की सूची के अनुसार, बड़हरा विधानसभा क्षेत्र में कुल 2,84,347 वोटर्स हैं. जिनमें 1,58,951 पुरुष और 1,25,389 महिला वोटर्स शामिल हैं. बीते चुनाव में कुल 2,84,347 में से केवल 1,46,612 वोटरों ने ही मतदान किया था. 2015 विधानसभा चुनाव में इस सीट पर 51.6 फीसदी वोटिंग हुई थी.
बड़हरा विधानसभा क्षेत्र का इतिहास
बड़हरा विधानसभा क्षेत्र भोजपुर का चित्तौड़गढ़ कहा जाता है. बड़हरा विधानसभा क्षेत्र आरा लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है. इस विधानसभा सीट का गठन 1967 में हुआ था. बड़हरा विधानसभा क्षेत्र पहले आम चुनाव में आरा मुफस्सिल विधानसभा क्षेत्र के रूप में जाना जाता था. 1952, 57 और 62 में अंबिका अंबिका शरण सिंह विधायक रहे. साल 1967 में यह बड़हरा विधानसभा क्षेत्र के रूप में सामने आया. और इस बार भी अंबिका शरण सिंह ही चुनाव जीते. वो 1957 से 67 तक वित्त मंत्री रहे. 1977 के चुनावी अखाड़े में उतरे और जीतने में सफल रहे. हालांकि निर्वाचित होने के 21 दिनों बाद ही उनका निधन हो गया. उनके बेटे राघवेंद्र प्रताप सिंह ने उसी साल उपचुनाव में जीत दर्ज कर पिता की विरासत संभाली. वे 1980 में महज 328 वोटों से चुनाव हार गये. फिर 1985, 90, 95, 2000 तक लगातार जीते. 1997 से 2005 तक मंत्री रहे. एनडीए की लहर में 2005 में राघवेंद्र प्रताप सिंह चुनाव हार गये. और 2005 में जेडीयू की आशा देवी विधायक बनीं. हालांकि 2010 में राघवेंद्र प्रताप सिंह फिर चुनाव जीत जाते हैं. 2015 में आरजेडी के सरोज यादव ने जीत हासिल की.