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बिग ब्रेकिंगः चिराग को चुनावी वैतरणी में डुबोकर भाग खड़ा हुआ तथाकथित राजनीतिक तांत्रिक 'पांडेय'! इनके गुरूज्ञान ने कर दिया गुड़-गोबर

बिग ब्रेकिंगः चिराग को चुनावी वैतरणी में डुबोकर भाग खड़ा हुआ तथाकथित राजनीतिक तांत्रिक 'पांडेय'! इनके गुरूज्ञान ने कर दिया गुड़-गोबर

पटनाः बिहार की राजनीति में चिराग का चिराग कुछ ऐसा बुझा कि अब धुआं छोड़ने की भी औकात नहीं रही। एक वक्त था जब अपने तथाकथित मित्र व नए-नए पॉलिटिकल पंडित बनने की कोशिश में लगे पांडेय जी के सहारे भभक रहे थे। समय के साथ बिहार की राजनीति ने करवट बदली और चिराग सहित उनकी पार्टी ने भी सियासत की वैतरणी में कांसी-करवट ले लिया। तथाकथित पॉलिटिकल पंडित बनने चले पांडेय जी ने सीएम नीतीश के खिलाफ आग उगलने की सलाह देकर साथ ही चिराग के अंदर बिहार के सीएम बनने की महत्वाकांक्षा पैदा कर चुनाव से पहले लोजपा सुप्रीमो को पेंडुलम बनाकर रख दिया।

पांडेय जी के आगे पार्टी के बड़े-बड़े नेता भी भरते थे पानी

लोजपा के भीतर पांडेय की माया की दुनिया ऐसी थी कि पार्टी के सांसद व वरिष्ठ नेताओं की बात छोड़िए चिराग भी इसके इशारे पर नाचते थे। परिणाम यह हुआ कि लोजपा  सुप्रीमो चिराग अचानक आग उगलने लगे और इस आग ने बाद में लोजपा के बंगले को ही खाक कर दिया। इतना ही नहीं पांडेय के गुरूज्ञान की बदौलत ने कुछ अपनी हैसियत यूं समझ ली कि रही सही हैसियत भी परिणाम के बाद हांफने लगी। अब थोड़ा पहले की बात कर लेते हैं.....पांडेय के इशारे पर लोजपा सुप्रीमो ने  एनडीए के अंदर सीटों की मांग को लेकर एक ऐसी मांग रखी जिसे पूरी ही नहीं की जा सकती थी। उस पर से तुर्रा यह कि चिराग अपने ही गठबंधन के मुख्यमंत्री के खिलाफ आग उगलने लगे। शुरू दौर में तो सीएम नीतीश के इशारे पर जेडीयू नेताओं ने चिराग के बयान को हल्के में लेते हुए बोलने से बचते रहे लेकिन जब पानी सर से ऊपर चढ़ गया तो लोगों ने पलटवार करते हुए चिराग की नाक में भी दम कर दिया।

पांडेय जी लोजपा सुप्रीमो की भूमिका अदा करता था

बात इतने पर ही नहीं रूकी पांडेय की सलाह पर सीटों के बंटवारे में ऐसा पेंच फंसा कि ऐन मौके पर चिराग एनडीए से खुद-ब-खुद बाहर होने का ऐलान करते हुए अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी। परिणाम सबको पता था लेकिन पांडेय के पॉलिटिकल प्रपंच में चिराग इतने अंधे हो चुके थे कि उससे बाहर उन्हें कुछ सुझता ही नहीं था। मतलब अप्रत्यक्ष तौर पर पांडेय लोजपा सुप्रीमो की भूमिका अदा कर रहे थे। यह कई मौकों पर दिखा भी ....भला अनुमान लगाइए कि जिसे कोई राजनीतिक अनुभव न हो और वह लोजपा का स्टार बन गया. यह सब चिराग की कृपा से संभव हो रहा था। पांडेय एक ऐसा राजनीतिक तांत्रिक बन गया था जो  लोजपा के लिए ही स्वाहा यज्ञ में जुटा था और चिराग भी उसी के दिये गुरू ज्ञान पर सियासत का मंत्र जाप करने में जुटे थे। हद तो तब हो गई जब चुनाव से ठीक पहले और चुनावी सभाओं में भी चिराग पासवान सीएम नीतीश कुमार को ही जेल भेजने की धमकी देने लगे।

पांडेय जी के दिखाये सब्जबाग ने लोजपा की सियासत में लगा दी आग

वजह चाहे जो भी हो, पांडेय के दिखाये सब्जबाग में इतना तो दम जरूर था कि उसके बदौलत चिराग ने एनडीए में ही आग लगाने का मन बना लिया। फिर किया वही अकेले चुनाव लड़ने के फैसले के पीछे खड़ा पांडेय सुनने में आता है कि चिराग पासवान के पास से भाग खड़ा हुआ है। लोजपा के विश्वस्त सूत्रों की मानें तो चिराग पासवान बिहार में करारी हार मिलने के बाद दिल्ली गए उसके बाद से ही नया-नवेला राजनीतिक तांत्रिक बना पांडेय भाग खड़ा हुआ है। लोजपा के नेताओं तक भी यह बात पहुंच गई है।लेकिन नौ-दो ग्यारह होने से पहले पांडेय ने लोजपा को बिहार की राजनीति से ही नौ-दो-ग्यारह कर दिया।


पांडेय जी की रणनीति से चिराग अपने भाई को भी नहीं जीता पाये

 रामविलास पासवान के द्वारा बिहार में बनाए गए राजनीतिक आवरण को पांडेय ने न सिर्फ तोड़ा बल्कि क्षत-विक्षत कर दिया। इसमें कोई शक नहीं 147 सीटों पर लड़कर बिहार की राजनीति में छा जाने की मंशा पाल रहे चिराग की पार्टी 1 सीट पाने में कामयाब रही लेकिन वह भी भाग्य भरोसे.स्थानीय प्रत्याशी की अपनी लोकप्रियता ने उन्हें काफी कम मतों से विजयश्री दिलवा दिया। वहीं दूसरी तरफ जीती हुई दोनों सीटें, साथ ही परिवार का एक एक अहम सदस्य भी रणनीति के अभाव में औंधे मुंह गिरा। अब नीम पर करेला चढ़ने जैसा एक और बात सामने आई है कि पिता के स्वर्गीय होने के बाद राज्यसभा की सीट भी हाथ से जाती दिख रही है।

तथाकथित राजनीतिक तांत्रिक अपने पिता के लिए चाह रहा राज्यसभा की सीट 

पीएम मोदी के हनुमान को अब बार-बार घिघियाना पड़ रहा है कि मेरे पिता के निधन के बाद खाली हुई सीट पर मेरी मां को राज्यसभा भेजा जाए। लेकिन पांडेय की सलाह पर चिराग ने सीएम नीतीश को जो जख्म दिये हैं उससे तो यह मांग पूरी होती हुई नहीं दिख रही। विश्वस्त सूत्रों की मानें तो तथाकथित राजनीतिक तांत्रिक पांडेय चिराग को सपने दिखाकर अपने पिता को पहले यूपी प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी दिलवा दी. इसके बाद अपने पापा जी के लिए राज्यसभा की एक सीट भी चाह रहा था। लोजपा के विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि बीजेपी ने बिहार चुनाव में 27 सीट देने की हामी भर दी थी लेकिन राज्यसभा की सीट देने से इंकार किया था। ऐसे में तथाकथित तांत्रिक पांडेय ने चिराग के कान में एक बार फिर से सियासती मंत्र जापकर बीजेपी का प्रस्ताव अस्वीकार करने का दबाव बना दिया। बस क्या था...गुरूज्ञान के बाद  चिराग पासवान राजनीतिक पहलवान बनकर लोजपा के किसी वरिष्ठ नेता से राय लिये बिना भाजपा का प्रस्ताव खारिज कर दिया.बताया जाता है कि बीजेपी-जेडीयू की तरफ से 27 सीटें दी जा रही थी लेकिन इस प्रस्ताव को पार्टी नेताओं से छुपा ली गई . संसदीय बोर्ड की बैठक में बताया गया कि लोजपा को सिर्फ 15 सीटें दी जा रही है। मकसद था पार्टी नेताओं के विरोध को रोकना.  अगर नेताओं को 27 सीट मिलने की जानकारी लग जाती तो अलग होकर लड़ने के निर्णय का विरोध शुरू कर देते। लिहाजा नेताओं को रोक कर रखने के लिए अपने लोगों से भी छल किया गया। साथ ही इन नेताओं को जानबूझकर ऐसी सीटें बताई गई जो लोजपा के लिए जीत पाना मुश्किल था। सूत्रों ने बताया कि सच्चाई कुछ और थी बीजेपी-जेडीयू की तरफ से लोजपा नेताओं के आधार वाली सीटें ही दी जा रही थी। लेकिन यहां तो डील पक्की थी कि हर हाल में अलग होकर चुनाव लड़ना है .

अब पांडेय जी हो गए उड़नछू

पूरे चुनाव में (मैं मोदी का हनुमान) का रट्टा लगाने वाले चिराग पासवान को जनता ने ऐसा आइना दिखाया कि उसमें उनका चेहरा दिख ही नहीं रहा,पार्टी की बात तो छोड़ दीजिए. कोरोना काल में जनता के बीच से पूरी तरह से गायब रहने वाले चिराग पासवान चुनावी पासा फेंकने जब बिहार पहुंचे तो संभवतः जनता भी इस खेल को समझ चुकी थी। परिणाम सबके सामने है कि बचा-खुचा भी गवां कर चिराग उल्टे पांव दिल्ली लौट चुके हैं. सूत्रों की मानें तो दिल में हार का घाव लेकर दिल्ली लौटे चिराग ने सबसे पहले पांडेय जी की खबर ली। लेकिन पता चला है कि पांडेय जी पहले ही उड़नछू हो चुके हैं.

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