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बिहार सरकार का बड़ा आदेशः कोर्ट में याचिका लगाने मात्र से 'प्रोसिडिंग' नहीं होगा स्थगित ,सरकारी सेवकों को लगा झटका

बिहार सरकार का बड़ा आदेशः कोर्ट में याचिका लगाने मात्र से 'प्रोसिडिंग' नहीं होगा स्थगित ,सरकारी सेवकों को लगा झटका

PATNA: बिहार के वैसे सरकारी सेवक जिन पर विभागीय कार्यवाही संचालित है उनके द्वारा कोर्ट में याचिका दाखिल करने मात्र से विभागीय कार्यवाही नहीं रूकेगी। बिहार सरकार ने एक बार फिर से साफ कर दिया है। सामान्य प्रशासन विभाग ने इस संबंध में सभी विभाग के विभागाध्यक्ष, पुलिस महानिदेशक, प्रमंडलीय आयुक्त और डीएम को पत्र भेजा है.

सरकार ने भेजा पत्र

सरकार के पत्र में कहा गया है कि सरकारी सेवकों के विरुद्ध विभागीय कार्यवाही संचालन की प्रक्रिया एवं प्रावधानों का निर्धारण किया गया है. उक्त नियमावली की प्रक्रिया एवं प्रावधान को लेकर कई बार स्पष्टीकरण और मार्गदर्शन निर्गत किए गए हैं. 14 जून 2011 को जारी पत्र में इसका विस्तृत उल्लेख किया गया है. इसके बाद एक दर्जन पत्र इस संबंध में जारी किए गए हैं. फिर भी कई ऐसे मामले संज्ञान में आ रहे हैं जिसमें आरोपी सरकारी सेवक जिसके विरुद्ध विभागीय कार्यवाही संचालित है वो कार्यवाही स्थगित करने की मांग कर रहा। आरोपी सरकारी सेवक संचालन पदाधिकारी को इस आधार पर विभागीय कार्यवाही स्थगित करने का अनुरोध करता है कि उनके द्वारा न्यायालय में कार्यवाही निरस्त करने के लिए केस दायर किया गया है. ऐसे मामलों में संबंधित संचालन पदाधिकारी द्वारा विभागीय मत की भी अपेक्षा की गई है.

सिर्फ केस दर्ज करने का नहीं चलेगा बहाना

सामान्य प्रशासन विभाग ने स्पष्ट किया है कि किसी आरोपित सरकारी सेवक के विरुद्ध संचालित विभागीय कार्यवाही को संचालन पदाधिकारी द्वारा मात्र इस आधार पर स्थगित नहीं किया जा सकता कि आरोपी सरकारी सेवक ने विभागीय कार्यवाही निरस्त करने हेतु कोर्ट में याचिका दायर किया है. सरकारी सेवक के विरुद्ध संचालित विभागीय कार्यवाही के विरुद्ध जब तक कोर्ट से कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं हो जाता तब तक विभागीय कार्यवाही पर रोक नहीं रहेगी. अंतरिम आदेश पारित किए जाने पर ही संबंधित अनुशासनिक प्राधिकार द्वारा कोई विधि सम्मत निर्णय लिया जा सकेगा। अनुशासनिक प्राधिकार द्वारा संबंधित संचालन पदाधिकारी को दिए गए निर्देश के आलोक में ही विभागीय कार्यवाही को स्थगित किया जा सकता है.

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