PATNA : रेलवे ने
पटना-दीघा लाइन की जमीन बिहार सरकार को दे तो दी है, लेकिन इस पर
फोरलेन सड़क बनाने का काम आसान नहीं होगा। पटना जिला प्रशासन और सरकार को नाकों
चने चबाने पड़ेंगे इस काम के लिए। इस रेल लाइन की पूरी जमीन पर करीब 15 छोटे-बड़े
मंदिर हैं। ये मंदिर कैसे हटेंगे, प्रशासन के सामने ये सबसे बड़ी चुनौती होगी। एक –
दो मंदिर नहीं बल्कि 15 मंदिरों का सवाल है। इसके अलावा इस रूट पर करीब 550
झोपड़ियां हैं। इन्हें हटाने में भी कम मशक्कत नहीं होगी। जमीन को अतिक्रमण मुक्त
कराना आसान काम नहीं लग रहा।
ईस्ट सेंट्रल रेलवे के जीएम एससी त्रिवेदी ने शुक्रवार को बिहार के मुख्यसचिव
दीपक कुमार के साथ बैठक की। बैठक के बाद रेलवे के जीएम ने कहा कि अगले एक सप्ताह
में दीघा- पटना रुट पर ट्रेन की आवाजाही बंद हो जाएगी। 15 अगस्त के पहले तक रेलवे
की जमीन भी बिहार सरकार को सौप दी जाएगी ताकि सड़क बनाने का काम शुरू किया जा सके।
ट्रेन सेवा बंद करने के पहले नोटिस देने की एक तय मियाद होती है। रेल मंत्रालय
इसके अनुरूप काम करेगा। रेलवे डिमार्केशन
कर जमीन दे देगी। अतिक्रमण हटाने की जिम्मेदारी बिहार सरकार की होगी। रेल लाइन
हटाने की जिम्मेवारी रेलवे की होगी।
रेलवे की कुल 71.253 एकड़ जमीन के लिए बिहार सरकार करीब 221 करोड़ रुपये देगी। पटना हाईकोर्ट की कमेटी ने जमीन के एवज में यह रकम तय की है। पैसा भुगतान करने की प्रक्रिया एक महीने में पूरी कर ली जाएगी।
बैठक के बाद मुख्य सचिव दीपक कुमार ने कहा कि बरसात के बाद दीघा रेल लाइन की
जमीन पर फोरलेन सड़क बनाने का काम शुरू होगा। ये सड़क 380 करोड़ रुपए की लागत से
बनेगी। पटना-दीघा फोरलेन रोड जेपी सेतु से जुड़ेगा । गंगा के किनारे बन रहे
एक्सप्रेस वे से भी इस रोड का जुड़ाव होगा। इस प्रस्तावित सड़क के साथ-साथ मेट्रो लाइन
बनाने की भी तैयारी है।